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Hindi News भारत राष्ट्रीय अब कश्मीरी पंडित करेंगे J&K में आतंक का अंतिम संस्कार, पीएम मोदी की स्ट्रैटजी तैयार

अब कश्मीरी पंडित करेंगे J&K में आतंक का अंतिम संस्कार, पीएम मोदी की स्ट्रैटजी तैयार

Rehabilitation plan ready for Kashmiri Pandits​: जिस आतंक के डर से कश्मीरी पंडितों का अपना घर उजड़ गया, जिस आतंक की दहशत से कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा और जिस आतंक की गुजरी यादों का खौफ आज भी कश्मीरी पंडितों का खून खौला देता है, अब दशकों से कश्मीर में चले आ रहे उस आतंक और आतंकियों का अंत होने वाला है।

कश्मीरी पंडितों के लिए बन रहा मकान- India TV Hindi Image Source : INDIA TV कश्मीरी पंडितों के लिए बन रहा मकान

Rehabilitation plan ready for Kashmiri Pandits​: जिस आतंक के डर से कश्मीरी पंडितों का अपना घर उजड़ गया, जिस आतंक की दहशत से कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा और जिस आतंक की गुजरी यादों का खौफ आज भी कश्मीरी पंडितों का खून खौला देता है, अब दशकों से कश्मीर में चले आ रहे उस आतंक और आतंकियों का अंत भी इन्हीं कश्मीरी पंडितों के हाथों होने जा रहा है। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में पंडितों की वापसी का ऐसा प्लान तैयार किया है कि इसके बाद कश्मीर में आतंक का पूरी तरह अंतिम संस्कार हो जाएगा। अब कश्मीरी पंडित बेखौफ होकर अपनी जन्मभूमि में जिंदगी गुजार सकेंगे।

कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की कोशिशें मोदी सरकार ने तेज कर दी हैं। इसके लिए कश्मीर के 10 ज़िलों में प्रारंभिक स्तर पर 1600 से अधिक घर तैयार कराए जा रहे हैं। कश्मीर के बांदीपोरा, कुपवाड़ा, शोपियन,  श्रीनगर और गांदेरबल में तेज़ी से आवासों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। आतंकियों की धमकियों और टारगेट किलिंग के बावजूद गांदेरबल में निर्माण का काम जारी है। गांदेरबल में 3 ब्लॉक पूरी तरह से तैयार हो गए हैं। अगले 3 महीनो में बाकी ब्लॉक भी तैयार हो जाएंगे।   

स्वागत को तैयार कश्मीरी मुसलमान
कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई जा रही इन कॉलोनियों की खबर से कश्मीरी मुसलमानों में भी ख़ुशी की लहर है। उनका कहना है कि कश्मीरी पंडित वापस लौटेंगे तो दिल से उनका स्वागत किया जाएगा। आपको बता दें कि 1990 के दशक में पलायन कर चुके कश्मीरी पंडितों को फिर से कश्मीर में बसाने के लिए सरकार ने 10 ज़िलों में ट्रांजिट कैम्प बनाने का काम तेज़ी से शुरू किया हैं। गांदेरबल के वन्धमा इलाके में कई एकड़ ज़मीन पर कश्मीरी पंडितों के लिए एक कॉलोनी बनाई जा रही है। इस कॉलोनी में 12 ब्लॉक बन रहे हैं ,जिसमें 3 ब्लॉक तैयार हो चुके हैं। बाकी 6  महीने के अंदर बन जाएंगे। हर ब्लॉक में 16 सेट बनाए जा रहे हैं। 

जानें कश्मीरियों का रिएक्शन
गांदेरबल में कश्मीरी पंडितों के लिए बन रही कॉलोनी में काम कर रहे आसिफ का कहना है कि  यह कॉलोनी आज के मॉडर्न तौर तरीके पर तैयार की जा रही हैं। अब तक तैयार 3 ब्लॉकों में रंग रोगन और टाइल्स, मार्बल का काम पूरा किया जा चुका है। आसिफ को उम्मीद है कि एक बार फिर से कश्मीर में दशकों पुराना माहौल देखने को मिलेगा। इसी तरह बिलाल अहमद ने इंडिया टीवी से बातची में कहा कि कश्मीरी पंडितों के बिना हमारा भाईचारा, तहजीब और कल्चर अधूरा है। वो हमारे भाई थे और हमेशा रहेंगे। हम हमेशा उनका स्वागत करेंगे। वहीं सोशल एक्टिविस्ट शेख जावेद ने कहा कश्मीरी मुसलमान जिस्म का एक बाजू है तो कश्मीरी पंडित दूसरा बाजू है। हम चाहते हैं वो वापस यहां आएं। हमारे बीच वैसे ही रहें जैसे पहले रहते थे। सुरक्षा का भी उनके लिए ख्याल रखा जा रहा है। पुलिस और फौज किसी भी चुनौती के लिए तैयार है। यह एक नया इंडिया है। हमारा खून हिंदुस्तानी है और चाहते हैं कि हमारा मुल्क विश्व में नंबर एक पर हो। हम आश्वासन देते हैं कि उनके हर सुख-दुख में साथ खड़े रहेंगे। 

बारामूला और पुलवामा में भी बसेंगे कश्मीरी पंडित
गांदेरबल के अलावा कश्मीर के बांदीपोरा बारामूला व पुलवामा और शोपियां में भी कश्मीरी पंडितों के लिए इस तरह के घर बनाये जा रहे हैं। श्रीनगर के जेवन में करीब 12.5 एकड़ ज़मीन पर घर बनाये जा रहे हैं। श्रीनगर के डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक जेवन इलाके में माइग्रेटेड कर्मचारियों के लिए लगभग 11 जमीन एलॉटेड है और 124 करोड़ की लागत से सरकार ने उनके रहने के लिए ट्रांसिट कैम्प  तैयार किया है। धीरे-धीरे अलॉटमेंट का काम किया जा रहा है। सुरक्षा का भी खास ख्याल जा रहा है। 

उपराज्यपाल कर रहे मॉनीटरिंग
हाल ही में कश्मीरी पंडितों पर हुए हमले और आतंकी संघठनों की तरफ से मिली धमकियों के बावजूद इन कालोनियों में काम तेज़ी से चल रहा है। इसे पूरा करने की डेडलाइन 6 महीने रखी गई है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा खुद घाटी में बन रहे 1680 आवासों के निर्माण की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। ताकि यहां लोगों को जल्द से जल्द बसाया जा सके। आपको बता दें कि 1989 में कश्मीर में आतंकवाद शुरू होने के साथ ही लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर बार और ज़मीन जायदाद छोड़ कर यहां से पलायन कर गए थे। फिर धीरे-धीरे वक़्त गुजरने के साथ साथ उनकी ज़मीन और जायदाद खंडहर में तब्दील हो गई।

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