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Hindi News भारत राष्ट्रीय मंदिर जाइए, मंदिरों में होनी चाहिए शिक्षा की व्यवस्था, काशी में मोहन भागवत ने दिया बयान

मंदिर जाइए, मंदिरों में होनी चाहिए शिक्षा की व्यवस्था, काशी में मोहन भागवत ने दिया बयान

इस दौरान उन्होंने कहा कि राजा अपना काम ठीक से करें यह समाज को देखना पड़ता है। प्रजातंत्र में यह पद्धति है कि हम जिस प्रतिनिधि को चुनते हैं, वह देश चलाते हैं। हम उनको चुनकर सो नहीं जाते हैं।

RSS Chief Mohan Bhagwat gave statement on Kashi tour said there should be system of education in tem- India TV Hindi Image Source : PTI काशी दौरे पर मोहन भागवत ने दिया बयान

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत काशी यात्रा पर गए हुए हैं। यहां उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कई अहम मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजा अपना काम ठीक से करें यह समाज को देखना पड़ता है। प्रजातंत्र में यह पद्धति है कि हम जिस प्रतिनिधि को चुनते हैं, वह देश चलाते हैं। हम उनको चुनकर सो नहीं जाते हैं। हम देखते रहते हैं कि वह क्या करते हैं, क्या नहीं करते। अच्छा करते हैं तो उसका फल मिलता है और बुरा करते हैं तों उसका फल चुनाव में मिलता है। 

57000 मंदिरों की देखभाल करेगा तिरुपति संस्थान

उन्होंने आगे कहा कि तिरुपति संस्थान ने 57000 मंदिरों की चिंता करने का बीड़ा उठाया है। ये 57000 मंदिर कहां से आए। वह दूर देहातों में स्थित हैं जहां एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग रहते हैं। इन मंदिरों में उसी वर्ग के लोग पुजारी हैं। अब इनकी चिंता तिरुपति संस्थान करेगा तो यह समाज समाज से जुड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें मंदिरों की सूची चाहिए। गली में अगर एक छोटा मंदिर भी है तो उसकी भी सूची बनाएं। उन मंदिरों में रोज पूजा हो, मंदिर को स्वच्छता की चिंता हो, मंदिर बस्ती और गांव से जुड़े, इसके लिए क्या कर सकते हैं वह करें। हमारा संगठित बल अगर इसे परिपूर्ण नहीं करता है तो हम संकट में हैं। 

मोहन भागवत बोले- मंदिर कैसे चलाएं, इसपर होनी चाहिए चिंता

मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर कैसे चलाए जाएं इसपर हमें चिंता करनी चाहिए। मंदिर को चलाने वाले भक्त होने चाहिए। आज हम देखते हैं मंदिरों में स्थितियां अलग अलग है। कुछ मंदिर समाज के हाथ में, कुछ मंदिर सरकार के हाथ में हैं। सरकार के हाथ में वो मंदिर बहुत हैं जो अच्छे तरीके से चलते हैं। मंदिर हमारे देश में सनातन परंपरा को मानने वाले सभी का एक अनिवार्य और आवश्यक अंग है। कहीं पर मंदिर कहते हैं, कहीं पर गुरुद्वारा कहते हैं, लेकिन एक ऐसा स्थान जो सार्वजनिक है। 

मंदिरों में होनी चाहिए शिक्षा की व्यवस्था

उन्होंने कहा कि मंदिरों में पहले बलि चढ़ाई जाती थी। आजकल मंदिरों में बलि नहीं चढ़ती है। परंपरा के अनुसार नींबू या नारियल फोड़ते हैं। बलि काल संगत नहीं है। मंदिर में पुजारियों का प्रशिक्षण होना चाहिए। मंत्र उच्चारण सही होना चाहिए। लोगो को मंदिर में आना चाहिए। मंदिर भक्तों के आधार पर चलेगा। जब आप आएंगे नहीं तो भगवान को देखने वाले कौन होंगे। मंदिर में संस्कारों की व्यवस्था होनी चाहिए। मंदिर में शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। मंदिर में लोगों के दुख दूर करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

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