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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'भारत-पाकिस्तान का बंटवारा कृत्रिम, वहां गए लोगों को अपनी गलती का हो रहा एहसास' - संघ प्रमुख मोहन भागवत

'भारत-पाकिस्तान का बंटवारा कृत्रिम, वहां गए लोगों को अपनी गलती का हो रहा एहसास' - संघ प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार को भोपाल में अमर शहीद हेमू कलानी के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में हिस्सा लेने आए थे। जहां उन्होंने सिंधी समाज की महत्ता पर बोलते हुए कई बड़ी बातें कहीं।

RSS, Mohan Bhagwat, Bhopal, Madhya Pradesh, India, Pakistan- India TV Hindi Image Source : INDIA TV राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत RSS, Mohan Bhagwat, Bhopal, Madhya Pradesh, India, Pakistan

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अमर शहीद हेमू कलानी के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने आए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया। सिंधी समाज के इस समागम में सिंधु सिंध और सिंधियों की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दंश अब तक पाकिस्तान की जनता महसूस कर रही है। वहां के लोग मानते हैं। वो कह रहे हैं गलती हो गई है। संघ प्रमुख ने कहा यह पक्की बात है कि भारत-पाक बंटवारा कृत्रिम है इस पर कोई विवाद नहीं है।

बंटवारे के बाद जो लोग भारत आए वे पराक्रमी - मोहन भागवत 

पाकिस्तान में रहने वाए सिंधियों ने विभाजन के बाद भारत को चुना इस विषय पर बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान चुनने की बारी आई, आप लोग पराक्रमी लोग हो आप ने भारत को नहीं छोड़ा। आप भारत से भारत में आए , जब आप वहां थे तो वहां भारत था उस भारत को छोड़ने के बजाय आप उस भारत से इस भारत में आए। संघ प्रमुख ने कहा हमने उस जमीन मतलब पाकिस्तान को शारीरिक दृष्टि से छोड़ दिया लेकिन 1947 के पहले वो क्या था ऐसा दुनिया में कोई पूछेगा तो बताना पड़ेगा कि वह भारत था। जब दूसरा कुछ नहीं था तब सारी दुनिया में सनातन का प्रभाव था। उस समय वहां क्या था? वही भारत था, सिंधु संस्कृति थी, वेदों का उच्चारण होता था, भारतीय संस्कृति के त्याग के मूल्यों पर चलने वाला जीवन चलता था।

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जिसको कुछ भी नहीं मालूम था, उसने किया बंटवारा - मोहन भागवत 

संघ प्रमुख ने कहा, "भारत-पाकिस्तान का विभाजन कृत्रिम है, यह तो पक्की बात है इसके लिए कोई विवाद नहीं चल सकता क्योंकि वह इतिहास में है। एक व्यक्ति को लाया गया सीमांकन करने के लिए, वह जानता नहीं था और उसके पास केवल 3 महीने थे। वह काम उसने पूरा करने के बाद कहा देखो मैं इस काम का एक्सपोर्ट नहीं हूं, मैं जानता नहीं हूं कैसे करना है इस काम को, मेरे पास समय भी नहीं था जो मैंने किया वह क्या किया है मैं भी नहीं जानता। ऐसा यह विभाजन है और कृत्रिम है। उस समय योगी अरविंद ने कहा था कि इसको जाना पड़ेगा। 

जिन्होंने भारत को छोड़कर पकिस्तान चुना, वे आज दुखी हैं - मोहन भागवत 

उन्होंने कहा कि आज हम जिसको पाकिस्तान कहते हैं उसके लोग कह रहे हमसे गलती हो गई। ये गलती हो गई सब कह रहे हैं सब मानते हैं। आप देखिए जो अपनी हठधर्मिता के कारण भारत से अलग हो गए, अपनी संस्कृति से अलग हो गए। पूर्वजों का नाता तोड़कर उनको भुला दिया गया। ऐसे जीवन में जिन्होंने प्रवेश किया और जो भारत से अलग हो गए  क्या वह अलग हो गए उससे अभी इस क्षण तक सुख में है, वह दुख में है। उस अपनी भूमि को छोड़कर भारत के साथ रहने के लिए जो आए उन्होंने अपने जीवन को अपने पुरुषार्थ से खड़ा कर दिया। आज दुखी नहीं है वहां पर दुख है क्यों है क्योंकि वह कृत्रिम जीवन में जी रहे हैं।

 

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