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Hindi News भारत राष्ट्रीय चंद्रयान-3 की सफलता पर आया RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान, बोले- देश ही नहीं-पूरे विश्व का बढ़ा मान

चंद्रयान-3 की सफलता पर आया RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान, बोले- देश ही नहीं-पूरे विश्व का बढ़ा मान

23 अगस्त की तारीख को भारत ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है। चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत के यश को और ज्यादा बढ़ा दिया है।

RSS Chief mohan bhagwat- India TV Hindi Image Source : PTI RSS प्रमुख मोहन भागवत।

चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में लैंड होते ही भारत ने वैश्विक पटल पर इतिहास रच दिया है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में सॉफ्ट लैंडिंग की है। पूरी दुनिया से भारत को इस कामयाबी के लिए बधाई संदेश मिल रहे हैं। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने भी चंद्रयान-3 की सफलता पर संदेश जारी किया है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

देश ही नहीं-सारे विश्व का मिशन
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई नहीं उतरा था, हमारे वैज्ञानिकों ने लंबे परिश्रम के बाद वहां उतरने का पहला मान प्राप्त किया है। संपूर्ण देश के लिए ही नहीं, सारे विश्व की मानवता के लिए। उन्होंने कहा कि भारत संपूर्ण विश्व को भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति की राह पर अग्रसर करेगा। 

आनंद का क्षण
मोहन भागवत ने कहा कि सारे विश्व के लिए वसुधैव कुटुंबकम की दृष्टि को लेकर भारत अब विश्व को शांति और समृद्धि प्रदान करने वाला भारत बनने की दिशा में अग्रसर हुआ है। इसका प्रतीक आज का हम सबके आनंद का यह पल है। उन्होंने वैज्ञानिकों को उनके कठोर परिश्रम और उनको प्रोत्साहन देने वाले शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया है।

भारत सारी दुनिया के लिए उठेगा
संघ प्रमुख ने अपने संदेश में कहा कि भारत उठेगा और सारी दुनिया के लिए उठेगा। इस उद्देश्य को साकार करने के लिए सारे देश का आत्मविश्वास जग गया है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में यह एक वास्तविक अमृत वर्षा करने वाला पल है। अब इस बात की आवश्यकता है कि हम अपने कर्तव्य के लिए जागें, और आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के लिए आवश्यक सामर्थ्य, आवश्यक कला- कौशल, आवश्यक दृष्टि, यह सब कुछ हमारे पास है।

कविता भी शेयर की
इस बड़े अवसर पर मोहन भागवत ने कविता भी शेयर की है। उन्होंने लिखा- "ज्ञान के, विज्ञान के भी क्षेत्र में हम बढ़ चलेंगे, नील नभ के रूप के नव अर्थ भी हम कर सकेंगे। भोग के वातावरण में त्याग का संदेश देंगे, दास्य के घन बादलों से सौख्य की वर्षा करेंगे"।

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