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Hindi News भारत राष्ट्रीय BATA: मां से पैसे लेकर खोली थी कंपनी, क्या आप जानते हैं बाटा की कहानी?

BATA: मां से पैसे लेकर खोली थी कंपनी, क्या आप जानते हैं बाटा की कहानी?

BATA: बाटा एक ऐसा ब्रांड जिसे भारत में बच्चा-बच्चा तक जानता है। कई भारतीयों को लगता है कि बाटा हमारे ही देश की कंपनी है। ऐसा इसलिए भी लगता है क्योंकि हिंदी भाषा में बांटा काफी सरल शब्दों में है, जिसे आसानी से समझा या बोला जा सकता है।

BATA- India TV Hindi Image Source : INDIA TV BATA

Highlights

  • थॉमस की बिजनेस पूरी तरह से ठप गई
  • व्यापार को बढ़ते देख थॉमस ने दुनिया भर में अपनी स्टोर खोलने लग गए
  • 1925 आते-आते दुनिया भर में बाटा के 122 स्टोर हो गए थे

BATA: बाटा एक ऐसा ब्रांड जिसे भारत में बच्चा-बच्चा तक जानता है। कई भारतीयों को लगता है कि बाटा हमारे ही देश की कंपनी है। ऐसा इसलिए भी लगता है क्योंकि हिंदी भाषा में बांटा काफी सरल शब्दों में है, जिसे आसानी से समझा या बोला जा सकता है। पुराने जमाने से भारत में बाटा का डिमांड रहा है हालांकि मॉर्डनाइजेशन के वजह से वर्तमान समय में भारतीय बाजारों में कई ब्रांडे आ गए हैं, जो सीधे-सीधे बाटा को टक्कर दे रहे हैं।

आपको बता दें कि बाटा एक फुटवियर बनाने वाली कंपनी है। भारत में अगर सबसे पुरानी फुटवियर ब्रांड की बात करें तो बाटा के नंबर इस लिस्ट में सबसे आगे ही आएगी। बाटा भारत की कंपनी नहीं है। इसकी नींव मध्य यूरोप के चेकोस्लोवाकिया में पड़ी। साल 1894 में थॉमस बाटा ने इस कंपनी की नींव डाली। थॉमस बाटा बेहद ही गरीब परिवार में जन्म लिए थे। इनका पूरा परिवार जूते बनाने के काम किया करता था। 
 

मां से लेकर पैसे शुरू किया था रोजगार 
थॉमस बाटा की परिवार आर्थिक तंगी के शिकार हो चुका था। पूरा परिवार काफी परेशान था। इन सबके बीच उन्होंने बिजनेस डालने की एक योजना बनाई। अपने ही गांव में उन्होंने दो कमरा लिया। इस योजना में भाई, मां और बहन को शामिल किया। उन्होंने अपने मां से 320 डॉलर रुपए लिए और पर्याप्त मात्रा में कच्चे माल को खरीदा। व्यापार  शुरुआत करते हैं कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसी दौरान उनके भाई और बहन ने उनका साथ छोड़ दिया। 
 

बिजनेस पूरी तरह से हो गई बर्बाद
थॉमस की बिजनेस पूरी तरह से ठप गई। पैसे बर्बाद हो गए थे। थॉमस कर्ज के तले दबते गए, आखिर में उन्हें अपनी कंपनी को दिवालिया घोषित करना पड़ा। कंपनी के दिवालिया होने के बाद थॉमस पूरी तरह से टूट गए थे वह फिर इंग्लैंड में जाकर एक जूते की दुकान में मजदूरी करने लगे। थॉमस के लिए यह नौकरी उनके लाइफ का एक टर्निंग प्वाइंट था। उन्होंने नौकरी के दौरान जूते के व्यापार को काफी नजदीक से समझा। इसके बाद थॉमस फिर अपने शहर लौट गए और फिर जूतों के व्यापार में पैसे निवेश किए। 
 

दुसरी बार में मिल गई सफलता 
जब थम्स दूसरी बार अपनी कंपनी की नींव रखी तो इस बार उन्हें सफलता प्राप्त हुई। 1912 में उनकी कंपनी काफी तेजी से ग्रोथ की। व्यापार इतना तेजी से बढ़ा कि उन्हें 600 मजदूर रखने पड़ गए। बाटा की खासियत से हर कोई आकर्षित होने लगा। काफी आरामदायक और टिकाऊ होने के कारण लोगों में बाटा पहनने का क्रेज हो गया। डिमांड को पूरा करने के लिए थॉमस ने अपने ही शहर में एक स्टोर डाली। हालांकि इसी दौरान प्रथम विश्व युद्ध के कारण व्यापार में हल्का झटका लगा लेकिन इससे निपटने के लिए भी बाटा ने अपने कीमतों में 50 फ़ीसदी गिरावट कर दी, जिसके बाद से जूते और बिकने लगे। कीमत कम करते ही उनके व्यापार में 15 फिसदी का मुनाफा हुआ। 
 

भारत में कैसे आया बाटा
व्यापार को बढ़ते देख थॉमस ने दुनिया भर में अपनी स्टोर खोलने लग गए। 1925 आते-आते दुनिया भर में बाटा के 122 स्टोर हो गए थे। जूते में मुनाफा देख थॉमस ने मोजा और टायर के इंडस्ट्री में भी अपना हाथ आजमाया। पिता की मौत के बाद बेटे ने कारोबार को संभाला। ऐसा कहा जाता है कि बेहतर चमड़े की तलाश में वह भारत आए उसी दौरान उन्होंने देखा कि भारत में लगभग लोगों के पास जूते नहीं थे। इन सब चीजों को देखते हुए बाटा ने भारत के कोलकाता में नींव रखी। भारत में बाटा के जूतों का डिमांड काफी बढ़ गया। ‌ डिमांड इतना बढ़ गया कि कंपनी ग्राहकों की मांग को पूरा नहीं कर पा रही थी। वही 4000 अलग से कर्मचारी रखे गए जो टेनिस और स्पोर्टस से जुड़ी फुटवियर बनाने लगे। आपको बता दें कि 90 देशों में बाटा का कारोबार फैला हुआ है। 

 

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