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Hindi News भारत राष्ट्रीय Water Crisis: कहीं 50 सालों से जल संकट, कहीं 3 दिन में एक बार मिलता पानी.... इन गांवों में बूंद-बूंद के मोहताज हैं लोग

Water Crisis: कहीं 50 सालों से जल संकट, कहीं 3 दिन में एक बार मिलता पानी.... इन गांवों में बूंद-बूंद के मोहताज हैं लोग

महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गांव की महिलाओं ने पानी के भीषण संकट के चलते अपना आक्रोश व्यक्त किया। विरोध प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने कहा कि हमारा गांव नासिक शहर के पास होने के बावजूद भी पिछले 50 सालों से पानी की समस्या बनी हुई है।

Water crisis in Nashik's village- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Water crisis in Nashik's village

Highlights

  • आज़ादी के बाद भी पानी के लिए तरस रहे लोग
  • तीन दिन में एक बार आता ही है पानी का टैंकर
  • कार्ड दिखाकर 3 दिनों में मिलता है 15 लीटर पानी

Water Crisis: महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गांव की महिलाओं ने पानी के भीषण संकट के चलते अपना आक्रोश व्यक्त किया। विरोध प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने कहा कि हमारा गांव नासिक शहर के पास होने के बावजूद भी पिछले 50 सालों से पानी की समस्या बनी हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर बसे मिर्जापुर के एक गांव को भी विरासत में पानी की किल्लत मिली है। 

50 सालों से पानी का संकट

नासिक जिले के तिराडशेत गांव में विरोध प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने कहा कि हमारा गांव नासिक शहर के पास होने के बावजूद भी पिछले 50 सालों से पानी की समस्या बनी हुई है। यहां की महिलाएं रोजाना पानी लाने के लिए कई किलोमीटर पैदल जाती हैं। महिलाओं का कहना है कि हम में से ज्यादातर लोग मजदूर हैं, फिर भी हमें काम पर जाने के बजाय पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। 

वहीं नासिक के डीएम गंगाधरन डी ने कहा कि हम जल जीवन मिशन के तहत जिले में पानी की कमी से जूझ रहे गांवों को चिन्हित कर रहे हैं। जलापूर्ति से संबंधित काम चल रहा है और जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। हमने ग्रामीणों के लिए पानी की अस्थायी व्यवस्था की है। 

3 दिनों में मिलता है 15 लीटर पानी

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर बसे मिर्जापुर के लहुरियादह गांव को विरासत में पानी की किल्लत मिली है। सोचिए, जिस तरह आपको कार्ड से राशन मिलता है, वैसे ही यहां कार्ड दिखाकर पानी मिलता है। वो भी 3 दिनों में केवल 15 लीटर पानी। जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर बसा हलिया विकासखंड का लहुरियादह गांव पिछड़े इलाके में शामिल है। यहां की कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। इस गांव की आबादी करीब 2 हजार के करीब है। गांव के लोगों को कार्ड से ही राशन मिलता है और कार्ड से ही पानी की सप्लाई की जाती है। फर्क बस इतना है कि राशन हर महीने 3 किलो मिलता है और पानी हर रोज 5 लीटर मिलता है।

जल संकट के कारण नहीं हो रहीं शादियां

गांव में पानी की किल्लत लोगों के घर बसाने में भी राह का रोड़ा बन गई है। कोई अपनी बेटियों की शादी इस गांव में नहीं करना चाहता। आजादी के बाद से आज तक पानी की समस्या कोई सरकार खत्म नहीं कर सकी है। चुनाव के दौरान पहुंचे नेता वादा तो करते हैं पर कोई काम नहीं दिखा। गांव के ही अर्जुन, दीनदयाल, केशव, मोहन लाल, हीरा लाल, शिवरतन, झल्लर, राम सहोदर और रामजस ने बताया, पुरखों के समय से ये समस्या चली आ रही है। लोग पहले झरने पर निर्भर थे। धीरे-धीरे जलस्तर कम होने के कारण झरने में भी पानी धीमा होता जा रहा है। लिहाजा समस्या बढ़ती जा रही है।

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