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Hindi News भारत राष्ट्रीय जब सुप्रीम कोर्ट के जज ने गुस्से में मारा फिल्मी डायलॉग, जानें क्या बोले जस्टिस चंद्रचूड़

जब सुप्रीम कोर्ट के जज ने गुस्से में मारा फिल्मी डायलॉग, जानें क्या बोले जस्टिस चंद्रचूड़

वकीलों के बार-बार स्थगन के अनुरोध पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा ‘‘हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बने।’’

Supreme Court of India - India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Supreme Court of India

Highlights

  • वकीलों के बार-बार स्थगन को लेकर गुस्साए जस्टिस चंद्रचूड़
  • वकील ने एक मामले पर बहस करने के लिए समय मांगा था
  • पीठ ने कहा- आपको इस मामले पर बहस करनी होगी

वकीलों के बार-बार स्थगन के अनुरोध पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा ‘‘हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बने।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ उस समय नाराज हो गई जब एक वकील ने एक मामले पर बहस करने के लिए समय मांगा और कहा कि उसने स्थगन के लिए एक पत्र दिया है। पीठ ने कहा, ‘‘हम सुनवाई को स्थगित नहीं करेंगे। ज्यादा से ज्यादा, हम सुनवाई टाल सकते हैं लेकिन आपको इस मामले पर बहस करनी होगी। हम नहीं चाहते कि उच्चतम न्यायालय ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बन जाए। हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं।’’

जस्टिस चंद्रचूड़ ने क्यों दोहराया ‘दामिनी’ फिल्म का डायलॉग
जस्टिस चंद्रचूड़ ने ‘दामिनी’ फिल्म के एक चर्चित डायलॉग को दोहराते हुए दीवानी अपील में एक हिंदू पुजारी की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘यह शीर्ष अदालत है और हम चाहते हैं कि इस अदालत की प्रतिष्ठा बनी रहे।’’ ‘दामिनी’ फिल्म में अभिनेता सनी देओल ने मामले में लगातार स्थगन और नई तारीख दिए जाने पर आक्रोश दिखाते हुए ‘तारीख पे तारीख’ वाली बात कही थी। पीठ ने कहा कि जहां न्यायाधीश मामले की फाइल को ध्यान से पढ़कर अगले दिन की सुनवाई की तैयारी करते हुए आधी रात तक तैयारी करते रहते हैं, वहीं वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं। पीठ ने सुनवाई रोक दी और बाद में, जब बहस करने वाले वकील मामले में पेश हुए, तो पीठ ने अपील में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और पुजारी को हाई कोर्ट का रुख करने के लिए कहा। 

हाई कोर्ट की गई टिप्पणी को हटाने से इनकार
एक अन्य मामले में, जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक वकील के खिलाफ एक हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को यह कहते हुए हटाने से इनकार कर दिया कि उच्च न्यायालय को अदालत कक्ष में अनुशासन बनाए रखना होता है और शीर्ष अदालत के लिए उनके गैर पेशेवर आचरण पर उन टिप्पणियों को हटाना उचित नहीं होगा। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने पर पीठ नाराज हो गई और कहा कि इस याचिका में मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती। अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए शीर्ष अदालत जाने के अधिकार से संबंधित है। 

"मुझे फाइल पढ़ने के लिए सुबह 3:30 बजे उठना पड़ता है"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘इस तरह के तुच्छ मुकदमों के कारण उच्चतम न्यायालय निष्प्रभावी होता जा रहा है। अब समय आ गया है कि हम एक कड़ा संदेश दें अन्यथा चीजें मुश्किल हो जाएंगी। इस तरह की याचिकाओं पर खर्च किए गए हर 5 से 10 मिनट एक वास्तविक वादी का समय ले लेता है, जो सालों से न्याय का इंतजार कर रहा होता है।’’ उन्होंने कहा कि आजकल लगभग 60 मामलों को विविध दिनों में सूचीबद्ध किया जाता है, जिनमें से कुछ को देर रात सूचीबद्ध किया जाता है। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मुझे मामलों की फाइल पढ़ने के लिए सुबह साढ़े तीन बजे उठना पड़ता है। न्यायाधीश कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन वकील अपने मामले में बहस करने को तैयार नहीं हैं। यह ठीक नहीं है।’’ 

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