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Hindi News भारत राष्ट्रीय child adoption law: बच्चों को कानूनी तौर पर गोद लेने का क्या है नियम, जानें किसे नहीं है इसका अधिकार

child adoption law: बच्चों को कानूनी तौर पर गोद लेने का क्या है नियम, जानें किसे नहीं है इसका अधिकार

child adoption law: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को गोद लेने वाली कानूनी प्रक्रिया में तीन से चार साल तक का लंबा समय लग जाने को लेकर सवाल उठाया है। मगर क्या आप जानते हैं कि किसी बच्चे को गोद लेने का नियम क्या है।

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Highlights

  • बच्चे और गोद लेने वाले व्यक्ति की उम्र में 21 वर्ष का अंतर जरूरी
  • गोद लेते ही बच्चे को मिल जाते हैं समस्त कानूनी अधिकार
  • निःसंतान लोग ही गोद ले सकते हैं बच्चा

child adoption law: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को गोद लेने वाली कानूनी प्रक्रिया में तीन से चार साल तक का लंबा समय लग जाने को लेकर सवाल उठाया है। मगर क्या आप जानते हैं कि किसी बच्चे को गोद लेने का नियम क्या है। कौन व्यक्ति बच्चे को गोद लेने के लिए पात्र हैं और कौन से ऐसे लोग हैं, जो कानूनी तौर पर किसी भी बच्चे को गोद नहीं ले सकते। क्या गोद लेने के लिए बच्चे की उम्र और उसे गोद लेने वाले अभिभावकों की उम्र भी इस मामले में मायने रखती है। बच्चों को कानूनी तौर से गोद लेने के अधिकार और कानून के बारे में हर महत्वपूर्ण जानकारी आइए हम आपको बताते हैं। 

वर्ष 1956 में बनाए गए हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटिनेंस एक्ट के तहत किसी भी बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्ति के लिए सबसे जरूरी शर्त यह है कि वह बालिग हो। साथ ही साथ दिमागी और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। शादीशुदा जोड़े भी बच्चे को गोद लेने के लिए पात्र होते हैं। जिन लोगों की शादी नहीं हुई है, वह भी किसी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेन के लिए पात्र हैं। मगर इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं, जिनका पालन किया जाना जरूरी है। 

बच्चे को गोद लेने के नियम और शर्तें
किसी भी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेने का अधिकार कोर्ट तभी दे सकता है। जब बच्चे और उसे गोद लेने वाले कानूनी अभिभावक की उम्र में कम से कम 21 साल का अंतर हो। अन्यथा बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकता।
महिला और पुरुष दोनों को गोद लेने के लिए बच्चे और उनकी उम्र में 21 साल का अंतर अनिवार्य है। 
जिस शख्स को पहले से कोई संतान है। या नाती-पोता है तो वह किसी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेने का पात्र नहीं है।
यदि किसी की बेटी की पोती हो और उसकी मां मर चुकी हो तो वह शख्स भी बच्ची को गोद नहीं ले सकता। 
यदि कोई शादीशुदा जोड़ा बच्चे को गोद लेना चाहता है, लेकिन उनमें से किसी एक को आपत्ति है तो ऐसी स्थिति में भी बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकता। 
कोई ऐसा बच्चा जिसे पहले कोई गोद ले चुका है तो उसे दोबारा कोई भी गोद नहीं ले सकता। 
केवल वही बच्चा गोद लिया जा सकता है, जिसकी उम्र गोद लेने के समय 15 वर्ष से कम हो।
केवल अविवाहित को ही गोद लेने का नियम है। किसी विवाहित को गोद नहीं लिया जा सकता। 

गोद लिए गए बच्चे के अधिकार
गोद लिए जाने वाले बच्चे के नाम पहले से प्रॉपर्टी होने से वह भी उसके नाम चली जाती है। 
यदि गोद दिए जाते वक्त बच्चे के नाम कोई प्रापर्टी नहीं है तो गोद देने वाले के यहां बाद में उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं रह जाता। वह कभी उस प्रापर्टी के लिए दावा भी नहीं कर सकता। 
यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को गोद ले रहा है तो उसे अपनी प्रापर्टी में गोद लिए गए बच्चे को पूरा कानूनी अधिकार देना पड़ता है। चल और अचल दोनों ही संपत्तियों पर बच्चे का अधिकार हो जाता है। 

ऐसे लिया जाता है गोद 
गोद देने और लेने के प्रक्रिया दोनों पक्षों की मौजूदगी में इलाके के सब-रजिस्ट्रार के सामने पूरी की जाती है। इस दौरान स्टांप पेपर पर डीड तैयार करके यह लिख दिया जाता है कि बच्चे को अमुक व्यक्ति को गोद दिया जा रहा है। 
गोद लेते और देते समय कम से कम दो गवाहों के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा प्रक्रिया को बनाएं आसान
फिलहाल किसी बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया काफी जटिल है। इसमें तीन से चार साल तक का वक्त लग जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा है कि किसी भी कपल को बच्चे को गोद लेने के लिए तीन-चार वर्षों का इंतजार नहीं कराया जा सकता। इसमें इतना समय क्यों लग रहा है। इस प्रक्रिया को आसान बनाया जाना चाहिए। ताकि बच्चों को गोद लेने में तेजी लाई जा सके। अगर इतना अधिक समय लगता रहा तो बहुत से बच्चे गोद जाने से वंचित रह जाएंगे। 

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