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Hindi News भारत राष्ट्रीय पति को 'काला इंसान' कहकर ताना देती थी पत्नी, हाई कोर्ट ने करा दिया तलाक, कही ये बात

पति को 'काला इंसान' कहकर ताना देती थी पत्नी, हाई कोर्ट ने करा दिया तलाक, कही ये बात

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। पत्नी अपने पति को काला-काला कहकर ताना देती थी। कोर्ट ने कहा, किसी के अपमान करने का किसी को अधिकार नहीं।

karnataka high court big decision- India TV Hindi Image Source : REPRESENTING IMAGE कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

कर्नाटक हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के रिश्ते को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति किसी का अपमान नहीं कर सकता। दरअसल, एक पत्नी अपने पति का अपमान करती है और उसे काला-काला कहकर ताना देती थी। कोर्ट  ने कहा, किसी व्यक्ति को उसकी पत्नी द्वारा डार्क स्किन को लेकर अपनाम करना क्रूरता है। कोर्ट ने इसे तलाक के लिए एक मजबूत कारण माना और एक पति-पत्नी के तलाक को मंजूरी दे दी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 44 वर्षीय व्यक्ति को उसकी 41 वर्षीय पत्नी से तलाक देते हुए यह टिप्पणी की है।

मामले पर हाई कोर्ट ने कहा, रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की बारीकी से जांच करने पर यह भी निष्कर्ष निकलता है कि पत्नी अपने पति का इसलिए अपमान करती थी कि वह काला है और इसी कारण से वह अपने पति से दूर रहने चली गई है। ऐसे में धारा 13 (i) (ए) हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक की याचिका की अनुमति देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, "इस पहलू को छिपाने के लिए, पत्नी ने अपने पति के खिलाफ अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाए हैं और ये तथ्य निश्चित रूप से क्रूरता और तलाक का कारण बनेंगे।"

पति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था

बेंगलुरु के रहने वाले 44 साल के शख्स की शादी साल 2007 में हुई थी और दोनों की एक बेटी है। साल 2012 में पति ने तलाक के लिए बेंगलुरु की एक फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें उसने अपील की थी कि पत्नी उसका अपमान करती है। 

पति की अपील पर जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस अनंत रामनाथ हेगड़े की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा, "यह पति का मामला है कि पत्नी उसे यह कहकर अपमानित करती थी कि उसका रंग काला है। पति ने आगे कहा है कि वह बच्चे की खातिर अपमान सहता था।"

वहीं पत्नी ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए (एक विवाहित महिला के साथ क्रूरता करना) के तहत केस दर्ज कराया था। महिला ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भी केस दर्ज कराया था और बच्चे के साथ अपने माता-पिता के साथ रहने चली गई थी। पत्नि ने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति का किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है और उससे उसका एक बच्चा भी है।

हाई कोर्ट ने की है सख्त टिप्पणी

फैमिली कोर्ट ने साल 2017 में तलाक के लिए पति की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद पति ने कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसमें कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पति पर लगाए गए आरोप कि उसका एक महिला के साथ अवैध संबंध है, पूरी तरह से निराधार और आधारहीन होने के साथ-साथ लापरवाही भरा भी है। कोर्ट ने फैसले में कहा "हमारे रिकॉर्ड में मौजूद सबूत यह बता रहे हैं कि पति के काले रंग के कारण पत्नी को शादी में कोई दिलचस्पी नहीं थी।'' 

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