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जयललिता और शशिकला की दोस्ती का राज़ क्या है? सहेली, साम्राज्य और साज़िश का चक्रव्यूह!

चेन्नई: जयललिता की पूरी जिंदगी एक ऐसी मिस्ट्री रही जिसपर पड़ा राज का पर्दा उनकी मौत के बाद भी नहीं उठा है। लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े सारे राज़ सारे रहस्य सारे जवाब अगर कोई

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जयललिता और शशिकला की दोस्ती का राज़ क्या है?

शशिकला की जयलललिता की जिंदगी में एंट्री अपने पति की वजह से हुई थी। पति नटराजन पब्लिक रिलेशन ऑफिसर थे, तब वो एमजी रामचंद्रन की करीबी डीएम चंद्रलेखा के साथ काम करते थे। उन्हीं दिनों चंद्रलेखा कहने पर ही MGR ने शशिकला का परिचय जयललिता से करावाया था फिर दोनो की दोस्ती इतनी पक्की हो गई कि 1988 में शशिकला अपने परिवार के साथ जयललिता के पोएज गार्डन के घर में शिफ्ट कर गयीं। धीरे-धीरे ये घर शशिकला के रिश्तेदारों और करीबियों से भरा गया। घर तो जयललिता का था, लेकिन होता सबकुछ शशिकला के इशारे पर।

एक वक्त ऐसा भी था जब ये कहा जाता था कि जयललिता के नाम पर सारे फैसले शशिकला ही लेती हैं। अम्मा को शशिकला पर इतना भरोसा था कि उन्होंने शशिकला के कहने पर ही उनके भतीजे सुधाकरन को दत्तक पुत्र तक बना लिया था। ये वो दौर था जब जयललिता पहली बार मुख्यमंत्री बनीं थीं। तमिलनाडु में जयललिता के बाद अगर किसी की नंबर दो की हैसियत थी तो वो शशिकला ही थीं। इसी दौरान जयललिता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने शुरु हुए।

क्यों अम्मा की सबसे भरोसेमंद रहीं शशिकला?

1995 में जब जयलिलता ने अपने दत्तक पुत्र की शादी में बेहिसाब पैसे खर्च किए तब उनपर इनकम टैक्स विभाग की भी नजर पड़ी। इन आरोपों के पीछे शशिकला के परिवार को ही जिम्मेदार माना जाने लगा। इसी दौरान साजिश की एक और थ्योरी भी सामने आयी। कहा गया कि शशिकला खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए जयललिता को धीमा जहर दे रही हैं। साजिश की खबरें और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरने के बाद जयललिता का शशिकला से मोहभंग हो गया।

वक्त के साथ-साथ कभी-कभी रिश्ते भी बदलते हैं। एक दौर ऐसा भी आया जब हर वक्त साये की तरह रहने वाली शशिकला को जयललिता ने अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया  था। उन्हें पार्टी और घर दोनो से एक झटके में निकाल दिया था। उनका पूरा कुनबा भी शशिकला के साथ जयललिता की जिंदगी से दूर हो चुका था।

कुछ सालों बाद वक्त ने फिर करवट ली और शशिकला फिर से जयललिता के करीब आयीं। अम्मा ने उन्हें तो माफ कर दिया लेकिन उनके परिवार के दूसरे सदस्यों को फिर कभी नहीं अपनाया, यहां तक अपने दत्तक पुत्र सुधाकरण को भी कभी पास नहीं आने दिया। शशिकला ने भी जयललिता से दोस्ती कायम रखने के लिए अपने पति तक से दूरी बना ली। शायद जयललिता की जिंदगी का अकेलापन ही था कि रिश्तों में इतनी दरार आने के बाद भी उन्होंने एक बार फिर शशिकला पर भरोसा कर लिया।

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