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गृह मंत्री पर माकपा सदस्य की टिप्पणी से लोकसभा में हंगामा

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की कथित टिप्पणी 'देश में 800 वर्षो बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में किसी हिंदू शासक ने सत्ता की बागडोर संभाली है', को लेकर सोमवार को लोकसभा

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की कथित टिप्पणी 'देश में 800 वर्षो बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में किसी हिंदू शासक ने सत्ता की बागडोर संभाली है', को लेकर सोमवार को लोकसभा में सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोक हुई, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई।

लोकसभा में असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा शुरू करते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद मोहम्मद सलीम ने पत्रिका में राजनाथ के हवाले से कथित तौर पर 'हिन्दू शासक' की बात का जिक्र किया, जिसके बाद सत्तापक्ष ने जमकर विरोध किया। स्वयं राजनाथ ने अपनी ओर से ऐसी कोई भी बात कहे जाने से इंकार करते हुए कहा कि इस तरह के आरोप से उन्हें ठेस पहुंची है।

राजनाथ ने कहा, "अपने संसदीय जीवन में मैं इतना व्यथित कभी नहीं हुआ। यदि एक गृह मंत्री इस तरह का बयान देता है, तो उसे अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।" उन्होंने कहा कि संसद के सदस्य और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जानते हैं कि वह कभी इस तरह की टिप्पणी नहीं कर सकते। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि मंत्री के बारे में सलीम की टिप्पणी पत्रिका की रिपोर्ट पर आधारित है, जो सदन की कार्यवाही के अभिलेख में दर्ज नहीं होगी। वह मामले की जांच करेंगी।

उन्होंने कहा, "मैं फैसला करूंगी।" संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि रिपोर्ट की जांच होने तक सांसद को अपनी टिप्पणी वापस ले लेनी चाहिए। रूडी ने कहा कि इस तरह के आरोप के बाद सत्ता पक्ष के लोगों का सदन में बैठना मुश्किल है, यह देश के लिए खतरनाक है।

बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य भर्तृहरि महताब ने कहा कि किसी सदस्य के खिलाफ कोई आरोप लगाने से पहले उस सदस्य को पहले ही इस बारे में अवगत करा देना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने हालांकि कहा कि पत्रिका में खबर छपने के बाद मंत्री ने उसका खंडन नहीं किया था।

सलीम ने कहा कि उनका इरादा मंत्री को आहत करना नहीं था और पत्रिका में प्रकाशित इस टिप्पणी के बारे में मंत्री को इत्तला कर उन्होंने खुफिया एजेंसी का काम किया है। रूडी ने हालांकि जोर दिया कि सलीम को अपना आरोप वापस ले लेना चाहिए। सदन में जारी गतिरोध को लेकर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। जब पुन: कार्यवाही शुरू हुई, रूडी ने फिर जोर देते हुए कहा कि जब तक विश्वसनीयता साबित नहीं हो जाती, माकपा सदस्य को आपनी टिप्पणी वापस ले लेनी चाहिए।

सलीम ने कहा कि उनकी टिप्पणी के बारे में सवाल पूछने के बाद ही उन्होंने पत्रिका का हवाला दिया। गतिरोध जारी रहने पर उपाध्यक्ष एम.थंबीदुरई ने सदन की कार्यवाही संक्षिप्त समय के लिए स्थगित कर दी। दूसरी बार बाधित होने के बाद जब पुन: कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस नेता एम.वीरप्पा मोइली ने कहा कि चूंकि सलीम व राजनाथ सिंह दोनों ही बोल चुके हैं, इसलिए मुद्दे को यहीं विराम दे देना चाहिए।

लेकिन इसके बाद भी सदन में शोरगुल जारी रहा और सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.15 बजे और फिर चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। जब अपराह्न 3.15 बजे कार्यवाही शुरू हुई, सलीम ने कहा कि वह कानून के अनुसार चल रहे हैं और कहा कि अगर नरेंद्र मोदी की जगह राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री होते, तो उन्हें खुशी होती।

संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने इस टिप्पणी पर विरोध जताते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणी माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी के लिए भी की जा चुकी है। इससे पहले, राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार न तो मानती है और न ही इस बात से सहमत है कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है। लेकिन उन्होंने कहा कि वे उन सांसदों से सुझाव लेंगे, जो ऐसी बातें कहते हैं। वहीं अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सांसद लोगों का नेतृत्व करेंगे और उम्मीद जताई कि चर्चा सही दिशा में होगी।

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