A
Hindi News भारत राजनीति 'सामना' की संपादक बनते ही रश्मि ठाकरे ने BJP को लिया आड़े हाथ

'सामना' की संपादक बनते ही रश्मि ठाकरे ने BJP को लिया आड़े हाथ

रश्मि ठाकरे के शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की संपादक बनने के बाद प्रकाशित पहले ही संपादकीय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल पर निशाना साधा गया है।

<p>Rashmi Thackeray</p>- India TV Hindi Rashmi Thackeray

मुंबई: रश्मि ठाकरे के शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की संपादक बनने के बाद प्रकाशित पहले ही संपादकीय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल पर निशाना साधा गया है। रश्मि ठाकरे ने संपादकीय के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि असल में 'बॉस' कौन है। संपादकीय में चंद्रकांत पाटिल को भाजपा का 'दादामियां' बताया गया है।

सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में भाजपा के बर्ताव और बातों का कोई मतलब नहीं बचा है। देवेंद्र फड़णवीस और चंद्रकांत पाटिल से लेकर राज्य के भाजपा नेता फिलहाल जो कहते हैं और जो करते हैं, उसमें उनकी विफलता ही नजर आती है। सामना में चंद्रकांत पाटिल को भाजपा का दादामियां बताते हुए कहा गया है कि अब वो भी फड़णवीस के नक्शे कदम पर चलने लगे हैं। भाजपा पर 'सामना' के साथ ही 'दोपहर का सामना' में भी निशाना साधा गया है।

दरअसल, चंद्रकांत पाटिल हाल ही में औरंगाबाद गए थे। उन्होंने वहां एक सभा को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र सरकार से मांग की थी कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में कोई भी औरंगजेब का वंशज नहीं है, इसलिए इसका नाम बदला जाना चाहिए।

सामना ने लिखा कि पाटिल को यह बताने की जरूरत नहीं है कि महाराष्ट्र में कोई भी औरंगजेब का वंशज नहीं है। यहां औरंगजेब हमेशा के लिए दफना दिया गया है। संपादकीय में भाजपा पर कटाक्ष करते हुए लिखा गया है, "भाजपा अब औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने की मांग कर रही है, लेकिन इससे पहले महाराष्ट्र में पांच वर्षों तक उनकी अपनी सरकार थी, तब उन्होंने नामकरण क्यों नहीं किया?" इसमें कहा गया कि राज्य की विपक्षी पार्टी ने अपने शब्दों और कार्यो से अपनी प्रासंगिकता खो दी है, जो फड़णवीस, पाटिल और उनकी टीम की विफलता का परिणाम है।

संपादकीय में कहा गया है, "दादामियां को यह नहीं भूलना चाहिए कि 25 साल पहले वह शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ही थे, जिन्होंने पहली बार औरंगाबाद का नाम बदलकर 'संभाजीनगर' कर दिया था, और हर किसी को इस पर गर्व है। पिछले पांच सालों से भाजपा छत्रपति शिवाजी महाराज या वीर सावरकर का नाम केवल राजनीति करने और वोट मांगने के लिए लेती रही है।"

सामना के जरिए शिवसेना ने आरोप लगाया, "भाजपा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद शब्द का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। भाजपा ने ना मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज के भव्य स्मारक की एक ईंट रखी न ही वीर सावरकर को भारत रत्न दिया गया। अयोध्या में भी श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है तो सुप्रीम कोर्ट की कृपा से।"

संपादकीय में लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। अन्य जगहों के नाम भी बदले गए और उन्हें किसी ने नहीं रोका। फिर सिर्फ फड़णवीस को औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने के लिए किसकी अनुमति चाहिए थी?

25 साल तक एक साथ काम करने के बाद शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र में सरकार बना ली है। अब पार्टी अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के जरिए लगातार मोदी सरकार और उनके कामकाज पर सवाल खड़े करती नजर आती है। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

Latest India News