इस पूर्व मुख्यमंत्री ने फिर से थाम लिया कांग्रेस का हाथ, कहा- परिवार में वापस लौटा
रेड्डी ने 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य बनने के समय कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बना ली थी।
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने शुक्रवार को कांग्रेस में ‘घर वापसी’ कर ली। इस बारे में बात करते हुए रेड्डी ने कहा कि इसी पार्टी से उनकी पहचान है और आज वह अपने ‘परिवार’ में वापस लौटे हैं। रेड्डी ने 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य बनने के समय कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बना ली थी। कांग्रेस में शामिल होने से पहले रेड्डी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके घर पर मुलाकात की।
‘मैं कांग्रेस से जुदा नहीं रह सकता’
कांग्रेस के आंध्र प्रदेश प्रभारी ओमन चांडी, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, वरिष्ठ नेता पल्लम राजू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एन. रघुवीर रेड्डी और राज्य के कई अन्य नेताओं की मौजूदगी में किरण कुमार रेड्डी कांग्रेस में शामिल हुए। सुरजेवाला ने कांग्रेस में उनका स्वागत करते हुए कहा कि रेड्डी ने पहले भी कांग्रेस की सेवा की है और आगे भी सेवा करते रहेंगे। पार्टी में शामिल होने के बाद रेड्डी ने कहा, ‘मैं खुश हूं कि आज कांग्रेस में मेरी वापसी हुई है। मैं कांग्रेस से जुदा नहीं रह सकता। मेरे परिवार और मेरी पार्टी की जो भी पहचान है वो कांग्रेस की वजह से है।’
‘राहुल गांधी से मिलकर खुशी हुई’
रेड्डी ने कहा, ‘मुझे राहुल गांधी से मिलकर खुशी हुई। मौजूदा समय में यह जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के हाथों को मजबूत किया जाए।’ आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून के पूर्ण क्रियान्वयन की मांग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी तब तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को न्याय को नहीं मिल सकता। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए राज्यसभा में आंध्र और तेलंगाना के लिए जो वादे किए थे उनको पूरी तरह लागू करने की जरूरत है।’
मुख्यमंत्री रहते छोड़ दी थी पार्टी
वाईएसआर कांग्रेस के साथ गठबंधन की किसी संभावना के बारे में पूछे जाने पर रेड्डी ने कहा कि वह आम कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस में शामिल हुए हैं, इसलिए फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कह पाएंगे। किरण कुमार रेड्डी ने फरवरी, 2014 में कांग्रेस छोड़ दी थी और ‘जय समयक्या आंध्र पार्टी’ का गठन किया था। वह 25 जून, 2011 से एक मार्च, 2014 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान आंध्र प्रदेश के बंटवारे की पूरी प्रक्रिया संपन्न हुई और तेलंगाना राज्य का गठन हुआ।