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Hindi News भारत राजनीति अगर मोदी के खेमे में लोगों को जाने से नहीं रोका तो 2019 में मुश्किल होगी : चिदंबरम

अगर मोदी के खेमे में लोगों को जाने से नहीं रोका तो 2019 में मुश्किल होगी : चिदंबरम

2019 चुनाव की रणनीति पर चिंता जताते हुए कांग्रेस के सीनियर नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि अगर विपक्षी दल नरेंद्र मोदी के खेमे में लोगों को जाने से रोकने में नाकाम रहा तो अगले आम चुनाव में बीजेपी खिलाफ एकजुट होकर लड़ना मुश्किल होगा।

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नई दिल्ली: 2019 चुनाव की रणनीति पर चिंता जताते हुए कांग्रेस के सीनियर नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि अगर विपक्षी दल नरेंद्र मोदी के खेमे में लोगों को जाने से रोकने में नाकाम रहा तो अगले आम चुनाव में बीजेपी खिलाफ एकजुट होकर लड़ना मुश्किल होगा। उन्होंने यह भी कहा है कि अगले चुनाव में कौन किसके साथ होगा, अभी यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर एक व्यापक मंच बनाना होगा। 

चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में कहा, "अभी कौन किसके साथ है, यह स्पष्ट नहीं है। कुछ विपक्षी दल -जद (यू), एआईएडीएमके मोदी खेमे से जुड़ रहे हैं। अन्य विपक्षी दलों के मामले में कई महत्वपूर्ण नेता और दलों के महत्वपूर्ण धड़े भाजपा खेमे से जुड़ रहे हैं। जब तक विपक्षी पार्टियां लोगों को भाजपा खेमे से जुड़ने से नहीं रोकते, तब तक एकजुट होकर लड़ना मुश्किल होगा।" पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि गुजरात में कांग्रेस ने 14 विधायक खो दिए और तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा में आठ विधायक गंवा दिए। 

उन्होंने कहा, "ये गंभीर झटके हैं। यह एक समस्या है और कांग्रेस पार्टी को इस समस्या का हल ढूंढ़ना है। पहले तो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा में जाने से हरहाल में रोकना होगा। उसके बाद अन्य विपक्षी दलों को एकजुट कर एक व्यापक मंच तैयार करना होगा। चूंकि कांग्रेस अकेला ऐसा दल है जिसका देश भर में विस्तार है, इसलिए विपक्षी दलों को मंच मुहैया कराना कांग्रेस की जिम्मेदारी है।"

यह पूछे जाने पर कि ओडिशा के बीजू जनता दल(BJD) जैसे दलों को वे भाजपा-विरोधी मंच पर कैसे लाएंगे? चिदंबरम ने कहा, "इन मामलों से निपटना या नेताओं से बातचीत करना मेरी जिम्मेदारी नहीं है। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह राष्ट्र हित में है कि सभी पार्टियां एक मंच पर आएं।" उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि समान विचारधारा वाले दलों को साथ लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, "लोग इस काम में जुटे हुए हैं।"

नोटबंदी के मुद्दे पर धारणा बनाने की लड़ाई भाजपा जीत गई है। इससे संबंधित एक सवाल पर चिदंबरम ने कहा, "मैं नहीं जानता कि वे (मोदी) जीत रहे हैं या नहीं। उन्होंने पहले लड़ाई जीती थी। लेकिन नोटबंदी की रिपोर्ट (भारतीय रिजर्व बैंक की) और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर) जारी होने के बाद, मैं समझता हूं कि धारणाओं में बदलाव आया है।" उन्होंने कहा कि नोटंबदी के मुद्दे को विपक्षी दलों के बीच एक राय नहीं बन पाने के कारण भुनाया नहीं जा सका। 

उन्होंने कहा, "नीतिश कुमार, मुलायम सिंह यादव और नवीन पटनायक.. इन सभी ने नोटबंदी का स्वागत किया। विपक्षी दलों ने नोटबंदी के खिलाफ एक सुर में आवाज नहीं उठाई और मोदी की संवाद क्षमता ने लोगों को भरोसा दिला दिया कि यह देश के लिए कुछ अच्छी चीज है। लेकिन आरबीआई की रिपोर्ट के बाद भी मुझे शक है कि ज्यादातर लोग अभी भी नोटबंदी को सही ही मानते होंगे। लेकिन यह तो वक्त बताएगा।"

कांग्रेस के बारे में चिदंबरम ने कहा, "गुजरात में हमने 14 विधायक खो दिए। अखबारों में खबरें छपीं कि बिहार में भी कुछ असंतोष है। लेकिन 14 विधायकों को खोने के बाद गुजरात में बाकी पार्टी मजबूत है और उसे अधिक आत्मविश्वास मिला है। तेलंगाना में पार्टी काफी सक्रिय है। लेकिन आंध्र प्रदेश में नांदयाल उपचुनाव का परिणाम काफी निराशाजनक रहा है। पार्टी के अंदर कुल मिलाकर मिली-जुली तस्वीर है।"कांग्रेस नेतृत्व बारे में और राहुल गांधी पार्टी की कमान कब संभालेंगे, इसके बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि वह उपाध्यक्ष हैं और उन्हें नहीं पता कि वह पार्टी अध्यक्ष का पद कब संभालेंगे।

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