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Hindi News भारत राजनीति 'जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू नहीं हुआ तो उम्मीदवारी वापस ले लूंगा'

'जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू नहीं हुआ तो उम्मीदवारी वापस ले लूंगा'

दक्षिणी कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के संयुक्त उम्मीदवार जी.ए. मीर ने मंगलवार को कहा कि अगर राज्य में राज्यपाल शासन लागू नहीं हुआ तो वह अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे।

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श्रीनगर: दक्षिणी कश्मीर की अनंतनाग संसदीय सीट के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के संयुक्त उम्मीदवार जी.ए. मीर ने मंगलवार को कहा कि अगर राज्य में राज्यपाल शासन लागू नहीं हुआ तो वह अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे। मीर ने सोमवार को अनंतनाग संसदीय सीट के लिए उपचुनाव स्थगित किए जाने का विरोध किया था।

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मीर ने अनंतनाग में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि पीडीपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार उपचुनाव के लिए शांतिपूर्ण माहौल कायम करने में नाकाम रही है, जो मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नाकामी दर्शाता है। सूत्रों के मुताबिक, मीर इस मामले में निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित निर्वाचन अधिकारी को मंगलवार को एक ज्ञापन सौंपेंगे।

चुनाव आयोग ने अनंतनाग लोकसभा उपचुनाव 25 मई तक के लिए टाला

चुनाव आयोग ने अनंतनाग लोकसभा सीट उपचुनाव को 25 मई तक के लिए यह कहते हुए टाल दिया है कि जम्मू कश्मीर सरकार से प्राप्त सूचना के अनुसार चुनाव के लिए कानून व्यवस्था अनुकूल नहीं है। पहले यहां उपचुनाव 12 अप्रैल को होना था। चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य प्रशासन को आशंका है कि चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए बदमाशों की ओर से हिंसक प्रयास किए जा सकते हैं। इसमें श्रीनगर में उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा का भी जिक्र किया गया। एक जून तक अनंतनाग में चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। इतना लंबा वक्त इस बात को ध्यान में रखते हुए दिया गया है कि वहां कुछ मतदान केन्द्रों में दोबारा मतदान हो सकते हैं।

अनंतनाग सीट महबूबा मुफ्ती के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोक सभा से इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई है। श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में हिंसा और मतदान का प्रतिशत बेहद कम रहने के कारण चुनाव आयोग उन मतदान केन्द्रों मे दोबारा चुनाव कराने के संबंध में शीघ्र हर कोई निर्णय सकता है। कल श्रीनगर में चुनावों के दौरान हुई हिंसा के बाद सुरक्षाबलों को भीड़ को काबू में करने के लिए गोलियां चलानी पड़ी जिसमें आठ लोंगों की जानें चली गईं।

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