नयी दिल्ली: उड़ी हमले के मद्देनज़र अब पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है। इसी के तहत बारत अब पाकिस्तान से उसे मिला तरजीहयाफ़्ता मुल्क (most favoured nation) का दर्जा छीन सकता है। ये दर्जा भारत ने 1999 से पाकिस्तान को दे रखा है जो एकतरफ़ा है। पाकिस्तान ने 2012 में भारत को भी ये दर्जा देने का ऐलान किया था लेकिन इस पर अमल नहीं किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सिलसिले में 29 सितंबर को एक बैठक बुलाई है जिसमें वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी शिरकत करेंगे।
ग़ौरतलब है कि उड़ी हमले के बाद से भारत अलग अलग मंचों से पाकिस्तान के ख़िलाफ़ वैश्विक राय बनाने की कोशिश कर रहा है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को खरीखोटी सुनाई। इसी क्रम में सोमवार को ही पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी समझौते की समीक्षा की गई। मोदी ने कहा है कि पानी और ख़ून साथ-साथ नहीं बह सकते।
यह पूछे जाने पर कि दोनों देशों के बीच व्यापार बहुत कम है ऐसे में तरजीहयाफ़्ता देश का दर्जा छीनने से क्या कुछ फ़र्क पड़ेगा, केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बात सिर्फ व्यापार की नहीं है। कोई देश हम पर हमले करता रहे और हम उसे विशेष दर्जा दें, ये नहीं हो सकता।
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