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आप संकट: केजरीवाल और यादव ख़ेमा खुलकर सामने आया, टकराव ने लिया नया मोड़

नई दिल्ली: भीषण बहुमत से जीतकर दिल्ली की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के भीतरी कलह लागातार जारी है। आप ने दावा किया कि वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने पार्टी की

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नई दिल्ली: भीषण बहुमत से जीतकर दिल्ली की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के भीतरी कलह लागातार जारी है। आप ने दावा किया कि वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया है। जबकि दोनों नेताओं ने इस्तीफे का खंडन किया।

आप के प्रवक्ता आशीष खेतान ने कहा कि प्रशांत और योगेंद्र मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पार्टी के संयोजक पद से हटाने की मांग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रशांत और योगेंद्र के इस्तीफे की खबर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिनों बाद होने वाली बैठक से ठीक पहले आई है।

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भूषण और योगेंद्र के साथ बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका और दोनों ही नेता केजरीवाल को पार्टी के संयोजक पद से हटाने पर अड़े हुए हैं लेकिन केजरीवाल को संयोजक पद से हटाने की किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा, "उनकी सारी मांगें मान ली गईं लेकिन वे केजरीवाल को पद से हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। सार्वजनिक तौर पर तो वे केजरीवाल को पार्टी नेता कहते हैं लेकिन अकेले में वे केजरीवाल को हटाने पर जोर देते हैं।"

आप के एक अन्य नेता कुमार विश्वास ने कहा कि प्रशांत और योगेंद्र की पांचों मांगें मान ली गई हैं लेकिन केजरीवाल को पार्टी संयोजक पद से हटाने के उनके प्रस्ताव पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही फैसला करेगी।

पार्टी के भीतर बढ़ती आपसी तकरार के बीच प्रशांत और योगेंद्र ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है। प्रशांत भूषण ने कहा कि केजरीवाल अपने आस-पास सिर्फ जी हुजूरी करने वाले लोगों को चाहते हैं।

भूषण ने कहा कि यह सब दुष्प्रचार है कि वह और योगेंद्र केजरीवाल को संयोजक पद से हटाना चाहते हैं।

योगेंद्र ने भी भूषण का समर्थन करते हुए कहा कि यदि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो केजरीवाल के समर्थन उनका त्यागपत्र पेश करें।

योगेंद्र ने ट्वीट किया, "जिसे त्यागपत्र बताया जा रहा है, वह भीतरी सुलह के लिए लिखा गया पत्र है। केजरीवाल को संयोजक पद से हटाने की बात हमारी चिट्ठी में कहीं नहीं है। क्या वे इसका प्रमाण दे सकते हैं?"

पिछले महीने दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने वाली मात्र एक वर्ष पुरानी पार्टी में सत्ता में आने के एक महीने बाद ही भीतरी कलह शुरू हो गया, जो धीरे-धीरे विकृत रूप लेता जा रहा है तथा पार्टी मुख्यमंत्री केजरीवाल समर्थकों एवं विरोधियों के दो खेमों बंटी नजर आने लगी है।

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