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MCD चुनाव: कांग्रेस के 92, आप के 38 उम्मीदवारों की जमानत जब्त

एमसीडी चुनाव के लिए 23 अप्रैल को हुए मतदान की बुधवार को हुई मतगणना में भाजपा ने 181 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि कांग्रेस के 92 और आम आदमी पार्टी (आप) के 38 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

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नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए 23 अप्रैल को हुए मतदान की बुधवार को हुई मतगणना में भाजपा ने 181 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त एस. के. श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस के 92 और आम आदमी पार्टी (आप) के 38 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। लगातार तीसरी बार एमसीडी की सत्ता में आई भाजपा के सिर्फ पांच प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है, जबकि 2012 में पिछले चुनाव में भाजपा के 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। (भारत के इस कदम ने उड़ाया अमेरिका, रूस और चीन के होश...)

जब कोई प्रत्याशी कुल पड़े मतों की संख्या का छठा हिस्सा भी नहीं हासिल कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, कुल मिलाकर देखा जाए तो दिल्ली के तीनों नगर निगमों के 270 वार्डो से खड़े 2,516 प्रत्याशियों में से 1,790 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है। तीनों नगर निगमों में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी भाजपा के ही रहे। पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के कृष्णा नगर वार्ड से भाजपा के प्रत्याशी संजीव कपूर ने आप प्रत्याशी नवीन गुप्ता को 9,332 मतों के अंतर से मात दी।

दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के द्वारका-बी वार्ड से भाजपा के प्रत्याशी कमलजीत सहरावत ने आप प्रत्याशी सुषमा बंसल को 9,886 मतों के अंतर से हराया। उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के सरस्वती विहार वार्ड से भाजपा के प्रत्याशी नीरज कुमार ने आप प्रत्याशी देशराज अग्गरवाल को 7,895 मतों के अंतर से मात दी।

वहीं एसडीएमसी के छतरपुर वार्ड से भाजपा की प्रत्याशी अनीता तंवर सबसे कम मतों के अंतर से जीत हासिल करने वाली पार्षद बनीं। अनीता ने मात्र दो मतों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि ईडीएमसी के भजनपुरा वार्ड से भाजपा की ही प्रत्याशी गुरजीत कौर ने मात्र 58 मतों के अंतर से जीत हासिल की।

इन दिल्ली निकाय चुनावों में कुल पड़े मतों का 0.67 फीसदी मत नोटा के पक्ष में रहे। श्रीवास्तव ने कहा, "नोटा के पक्ष में पड़े मतों में आए उछाल से पता चलता है कि मतदाता किसी भी प्रत्याशी से सहमत नहीं थे और नोटा के जरिए उन्होंने अपनी अनिच्छा जाहिर की है।"

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