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नगालैंड विधानसभा चुनावः पहली बार भाजपा और कांग्रेस ने मिलाया हाथ, रखी ये मांग

इन दलों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार दशकों पुरानी नगा लोगों की समस्याओं को नहीं सुलझाती, वे सियासी मैदान में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेंगे।

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नई दिल्ली: नगालैंड की सभी राजनीतिक पार्टियों ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों का बहिष्कार कर दिया है। राजधानी कोहिमा में हुई राजनीतिक दलों की बैठक में 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों के बहिष्कार का फैसला हुआ। सोमवार को नागालैंड ट्राइबल होहो और नागरिक संगठनों और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच हुई बैठक के बाद यह फैसला किया गया। बैठक के बाद 11 राजनीतिक दलों की ओर से हस्ताक्षरित साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आम लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए टिकट नहीं बांटने और परचा दाखिल नहीं करने का फैसला किया गया है।

इस घोषणापत्र पर एनपीएफ के अलावा कांग्रेस, यूनाइटेड नागा डेमोक्रेटिक पार्टी (यूएनडीपी), नगालैंड कांग्रेस, आप, भाजपा, नेशनल डेमोक्रेटिक पॉलीटिकल पार्टी, एनसीपी, लोक जनशक्ति पार्टी, जद (यू) और नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं। इन दलों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार दशकों पुरानी नगा लोगों की समस्याओं को नहीं सुलझाती, वे सियासी मैदान में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेंगे।

केंद्र को भेजे गए अपने कड़े संदेश के साथ सीसीएनटीएचसीओ ने चुनाव आयोग के चुनाव के अधिसूचना घोषित करने के एक दिन बाद यानी गुरुवार को बंद बुलाया है। सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ नगालैंड आदिवासी होहो-नागरिक संगठन की कोर कमिटी और छह अलग संगठन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर संयुक्त घोषणापत्र के बारे में जानकारी दी।

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