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नेताजी ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक धर्मनिरपेक्ष और एकजुट भारत के लिए लड़े थे और उन्होंने हिंदू महासभा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का विरोध किया था।

Mamata banerjee- India TV Hindi Image Source : FILE Mamata banerjee

दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक धर्मनिरपेक्ष और एकजुट भारत के लिए लड़े थे और उन्होंने हिंदू महासभा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का विरोध किया था। बनर्जी ने कहा कि देश को नेताजी जैसे नेताओं की जरूरत है जो सभी को साथ लेकर चल सकें। उन्होंने मांग की कि नेताजी के जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि बोस ने स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष के जरिए सभी धर्मों के सम्मान का संदेश दिया और राष्ट्रवादी नेता को सच्ची श्रद्धांजलि एकजुट भारत के लिए काम करना होगा। 

ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘नेताजी ने धर्मनिरपेक्षता की पैरवी की। वह एक सच्चे नेता थे जिनमें देश का नेतृत्व करने की क्षमता थी । जिनमें धर्मनिरपेक्षता के गुण हों, केवल वे ही सभी को साथ लेकर चल सकते हैं, देश का नेतृत्व कर सकते हैं।’’ बनर्जी ने कहा कि नेताजी ने 1940 में हिंदू महासभा की विभाजनकारी नीतियों का विरोध किया था। हिंदू महासभा (आधिकारिक रूप से अखिल भारत हिंदू महासभा) एक हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी हैं जिसका गठन 1915 में हुआ था। इसका उद्देश्य 1906 में आल इंडिया मुस्लिम लीग के गठन और 1909 में तत्कालीन अंग्रेज सरकार द्वारा अलग मुस्लिम मतदाता बनाये जाने के बाद ब्रिटिश भारत में समुदाय के अधिकारों की रक्षा था। बनर्जी ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘नेताजी ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि यह बांटने वाली राजनीति केवल वोटबैंक का निर्माण करने के लिए है। वह धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए लड़े। अब धर्मनिरपेक्षता का पालन करने वालों को बाहर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘क्या मेरा एक हिंदू होना मुझे अन्य धर्मों के उत्सवों में शामिल होने से रोकता है? क्या यह एक सच्चे नेता के गुण हैं? जवाब ना है।’’ उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह नेताजी के लापता होने के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (केंद्र) केवल कुछ ही गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया है। वास्तव में क्या हुआ था, यह पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। यह शर्मिंदगी की बात है कि 70 वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हमें यह नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ था।’’ उन्होंने कहा कि योजना आयोग नेताजी का विचार था लेकिन उसे भाजपा नीत सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद बंद कर दिया। 
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हम मांग करते रहे हैं कि नेताजी की जयंती को एक राष्ट्रीय अवकाश के तौर मनाया जाए। यद्यपि सरकार को इसकी परवाह नहीं है।’’ सितम्बर 2015 में बनर्जी ने नेताजी से संबंधित सभी 64 गोपनीय फाइलें जारी कर दी थीं जो कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस के कब्जे में थीं। 2016 में नेताजी की जयंती पर नरेंद्र मोदी सरकार ने नेताजी से संबंधित 100 फाइलें जारी की थीं।

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