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दो हार के बाद बिजनेस का मन बना चुके थे इंजीनियर नीतीश

नई दिल्ली: बिहार चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में हमारे सामने होंगे और पता चल जाएगा कि जनता ने नीतीश बाबू के सुशासन को दोबारा चाहा है या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास

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नई दिल्ली: बिहार चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में हमारे सामने होंगे और पता चल जाएगा कि जनता ने नीतीश बाबू के सुशासन को दोबारा चाहा है या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के वादे जनता को भाए हैं। लेकिन इसी बीच एक किताब ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में एक ऐसी बात सामने रखी है कि हर किसी को हैरानी हो सकती है। एक किताब में दावा किया गया है कि दो चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने बिजनेस करने का मन तक बना लिया था। गौरतलब है कि नीतीश कुमार को कांग्रेस के प्रत्याशी ने दो बार पटखनी दी थी।

क्या है किताब का दावा-   

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीति के शुरुआती दिनों में 1977 और 1980 में लगातार हार का सामना करने के बाद कोई बिजनेस करने का मन बनाया था। संतोष सिंह द्वारा लिखी गई किताब 'रूल्ड आर मिसरूल्ड' में कहा गया है कि हरनौत विधानसभा सीट से 1977 और 1980 में कांग्रेस के भोला सिंह के हाथ लगातार हार का सामना करने के बाद नीतीश ने अपने करीबी दोस्त मुन्ना सरकार से कहा था, 'ऐसे कैसे होगा, लगता है कोई बिजनेस करना होगा।' नीतीश का परिवार उनकी हार को लेकर अधीर हो गए था। इंजीनियरिंग की डिग्री के सहारे नौकरी पाने का विकल्प बचा हुआ था।

पुस्तक के अनुसार नीतीश ने अपनी पत्नी मंजू, जो कि अपने पैतृक गांव सेवदह स्थित सरकारी उच्च विद्यालय में शिक्षिका थीं, से 1985 के चुनाव में एक और मौका देने को कहा था। किताब में नीतीश के दोस्त नरेंद्र को कोट करते हुए कहा गया है कि नीतीश जहां अपनी राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे, हम लोगों ने उनके विरोधी को पटखनी देने और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाने का निर्णय लिया। मंजू (नीतीश की पत्नी) ने अपनी बचत से 20 हजार रुपए दिए और आखिरकार नीतीश ने 1985 का चुनाव जीता और बिहार विधानसभा पहुंचे।

339-पृष्ठों वाली उक्त किताब में नीतीश कुमार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी जो कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के 1974 के अंदोलन की उपज हैं, के बारे में कई दिलचस्प घटनाएं हैं।

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