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Hindi News भारत राजनीति ‘मणिपुर में भाजपा के सत्ता में आने से आयाराम गयाराम का दौर खत्म होगा’

‘मणिपुर में भाजपा के सत्ता में आने से आयाराम गयाराम का दौर खत्म होगा’

नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आज भरोसा दिलाया कि मणिपुर में भाजपा नीत नवगठित सरकार राज्य को एक स्थायी सरकार देगी । इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि उनकी

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नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आज भरोसा दिलाया कि मणिपुर में भाजपा नीत नवगठित सरकार राज्य को एक स्थायी सरकार देगी । इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी की सरकार बनने के बाद राज्य की राजनीति में आयाराम गयाराम का दौर खत्म होगा। भाजपा के मणिपुर प्रभारी प्रहृलाद पटेल ने भाषा से बातचीत में कहा, भाजपा के शासन में आने से वहां आयाराम गयाराम की समस्या का स्थायी समाधान होगा। उन्होंने कहा कि राज्य की राजनीति में इस समस्या के जारी रहने के पीछे कई कारण हैं जिनमें भ्रष्टाचार और कई राजनीतिक नेताओं के पास बड़ी मात्रा में अघोषित संपत्ति का होना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वहां के कुछ कानूनों में विरोधाभास होना भी जिम्मेदार है। आदिवासियों के नाम पर लोग कंपनियां खोलकर कर वंचना करते हैं।

मणिपुर में सरकार गठन के मामले में राज्यपाल की भूमिका पर कांग्रेस द्वारा प्रश्नचिन्ह लगाये जाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह से झूठ बोल रही है। राज्य के चुनाव में खंडित जनादेश आने के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए प्रयास ही नहीं किये। वह राज्यपाल के पास गयी ही नहीं। उन्होंने कहा,जब एनपीएफ ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ नहीं जाएगी तब हमने पहल की। एनपीएफ और अन्य दलों ने अपनी ओर से एक फैक्स राजभवन भेजकर हमारे प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। फिर हमने राज्यपाल के समक्ष अपने विधायकों को पेश किया। कांग्रेस इसके दो ढाई घंटे बाद जागी।

पटेल ने कहा , हम तो यह उम्मीद ही नहीं कर रहे थे कि मणिपुर में हमारी सरकार बन पायेगी। उन्होंने कहा ,कांग्रेस एक तरफ तो सरकार गठन में घपले का आरोप लगा रही है और दूसरी तरफ सोमवार को जब मणिपुर विधानसभा में हमारा विश्वास प्रस्ताव आया तो कांग्रेस की ओर से मत विभाजन की मांग तक नहीं की गयी। इससे पता चलता है कि कांग्रेस स्वयं ही सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त नहीं थी। इससे भी पता चलता है कि राज्यपाल का हमें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का निर्णय सही था।

लोकसभा सदस्य पटेल ने कहा कि मणिपुर की राज्यपाल ने भाजपा सरकार को समर्थन देने वाली हर पार्टी और उसके विधायकों से अलग अलग लिखित में समर्थन का पत्र लिया था। पटेल ने कहा कि मणिपुर का चुनाव हमारे लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि पिछली विधानसभा में हमें यहां एक भी सीट नहीं मिली थी और आज यहां हमारी पार्टी की सरकार है। यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के पार्टी में शीर्ष स्तर पर आने के बाद पूर्वोत्तर को लेकर क्या भाजपा की रणनीति में कोई बदलाव आया है,

भाजपा के एक अन्य नेता देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के शासनकाल में भाजपा ने पूर्वोत्तर को लेकर एक रणनीति बनायी थी। मोदी और शाह ने इस रणनीति के खांचे में रंग भरने का काम किया है। मोदी सरकार के शासनकाल में डोनर्स :उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास :मंत्रालय की बैठक में प्रधानमंत्री ने स्वयं भाग लिया। साथ ही हर मंत्री से कहा गया कि वह पूर्वोत्तर के प्रत्येक राज्य में स्वयं जाएं और उनका मंत्रालय क्षेत्र के विकास में अपना योगदान दे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में जिस रेल नेटवर्क के विस्तार की शुरूआत हुई थी उसे भी वर्तमान सरकार के शासनकाल में बहुत गति दी गयी। शर्मा ने कहा कि वह मणिपुर का उदाहरण दे सकते हैं जहां, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 22 हजार करोड़ रूपये देने की घोषणा की। साथ ही यह भी कहा कि दो साल तक थाइलैंड तक जाने वाली सड़क को पूरा करना है। अगर यह हो जाता है तो जिस तरह व्यापार का गेटवे आफ इंडिया मुंबई है उसी तरह पूर्वोत्तर का गेटवे इंफाल बन जाएगा। थाईलैंड, म्यामांर और तथा अन्य देशों के साथ व्यापार के लिए यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हो जाएगा जो अपनी भौगोलिक दृष्टि से उपेक्षित माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा नीत सरकार ने कल मणिपुर विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल कर लिया। विश्वास मत में तृणमूल कांग्रेस के एकमात्र विधायक ने भी एन बिरेन सिंह सरकार का समर्थन किया। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 21 विधायक हैं। पार्टी को नगा पीपुल्स फ्रंट :एपीएफ: के चार विधायकों, नेशनल पीपुल्स पार्टी :एनपीपी: के चार, लोजपा के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक असबउद्दीन के अलावा कांग्रेस के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है जिन्हें मंत्रिपरिषद में भी शामिल किया गया है। मणिपुर चुनाव में कांग्रेस को 24 सीटों पर सफलता मिली थी।

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