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संसद सत्र आज से शुरू, नोटबंदी पर हंगामे के आसार

नोटों की कमी के कारण परेशानियां बढ़ने के बीच संसद के बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के बड़े नोटों को अमान्य करने के सरकार के कदम को लेकर हंगामेदार होना तय दिख रहा है।

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नई दिल्ली/कोलकाता/मुम्बई: नोटों की कमी के कारण परेशानियां बढ़ने के बीच संसद के बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के बड़े नोटों को अमान्य करने के सरकार के कदम को लेकर हंगामेदार होना तय दिख रहा है। इस मुद्दे पर एकजुट विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर है।

एकजुट तस्वीर पेश करने का प्रयास करते हुए चिर प्रतिद्वन्द्वी तृणमूल कांग्रेस एवं वाम दल तथा सपा एवं बसपा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक में साथ आए जो संयुक्त रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई थी। हालांकि कांग्रेस की ओर से बुलाई गई 13 विपक्षी दलों की बैठक में इस मुद्दे पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए राष्ट्रपति भवन मार्च के प्रस्ताव पर सहमति बनाने में विफल रही। अधिकांश दल इस मुद्दे पर पहले ही दिन राष्ट्रपति भवन मार्च करके इस मुद्दे के प्रभाव को कम नहीं करना चाहते थे ।

कांग्रेस समेत इस बैठक में शामिल सभी दलों ने इस मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाने का संकल्प व्यक्त किया जिसके कारण आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है जिस कदम को सरकार कालाधन को व्यवस्था से हटाने की पहल बता रही है।

सरकार के 500 और 1000 रूपये के नोटों को अमान्य करने के कदम के कारण एटीएम और बैंकों में नकदी की कमी के कारण लोगों को हो रही परेशानियों के बीच कांग्रेस नीत विपक्ष ने आज इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक की । बड़े नोटों को अमान्य करने के सरकार के कदम के खिलाफ चिर प्रतिद्वन्द्वी तृणमूल कांग्रेस.माकपा और सपा. बसपा के साथ जदयू और द्रमुक समेत 13 विपक्षी दल साथ आए और इन्होंने निर्णय किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन तक मार्च करना अभी जल्दबाजी होगी और इस विषस को पहले पर्याप्त ढंग से संसदीय मंचों पर उठाया जाना चाहिए।

सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसी मकसद से बड़े नोटों को अमान्य करने का कदम उठाया गया है।

संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्वसंध्या पर आयोजित सर्वदलीय बैठक की समापन टिप्पणी में प्रधानमंत्री ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ साथ कराने का समर्थन किया, साथ ही इस बात का चुनाव के सरकारी वित्त पोषण का भी पक्ष लिया और सभी दलों से इस पर चर्चा करने का आग्रह किया।

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