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Hindi News भारत राजनीति सरकार सर्व स्वीकार्य आम-सहमति वाला उम्मीदवार नहीं लाती तो लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष

सरकार सर्व स्वीकार्य आम-सहमति वाला उम्मीदवार नहीं लाती तो लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष

विपक्ष ने राजग सरकार के 3 साल पूरा होने के अवसर पर सत्तारूढ़ गठबंधन को आगाह किया कि यदि वह राष्ट्रपति चुनाव में आम सहमति से धर्मनिरपेक्ष छवि वाला उम्मीदवार खड़ा करने में विफल रहता है तो संयुक्त विपक्ष इस चुनाव में उतरेगा। यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सो

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नई दिल्ली: विपक्ष ने राजग सरकार के 3 साल पूरा होने के अवसर पर सत्तारूढ़ गठबंधन को आगाह किया कि यदि वह राष्ट्रपति चुनाव में आम सहमति से धर्मनिरपेक्ष छवि वाला उम्मीदवार खड़ा करने में विफल रहता है तो संयुक्त विपक्ष इस चुनाव में उतरेगा। यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दी गई दोपहर भोज बैठक में किया गया जिसमें 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। इसमें सपा एवं बसपा जैसे कुछ पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी दल भी शामिल हैं। इन दलों के नेताओं ने राजग सरकार की नीतियों की भी आलोचना की।

बैठक में विपक्षी दलों ने कश्मीर एवं सहारनपुर की चिंताजनक स्थिति को लेकर सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि दलितों, महिलाओं, गरीबों एवं शोषित वर्गों सहित समाज के विभिन्न वर्ग इसके शासन काल में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दिये गये दोपहर भोज और बैठक में विपक्ष ने एकजुटता दिखाने का प्रयास किया तथा उसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजद प्रमुख लालू प्रसाद एवं बसपा प्रमुख मायावती सहित 17 विभिन्न गैर राजग दलों के नेताओं ने भाग लिया।

सोनिया द्वारा संसद भवन पुस्तकालय में दिये गये दोपहर भोज में ममता, मायावती, लालू प्रसाद के साथ-साथ वाम नेता सीताराम येचुरी, सुधाकर रेड्डी एवं डी राजा, जदयू नेता शरद यादव एवं केसी त्यागी ने भाग लिया। हालांकि जदयू प्रमुख एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक में नहीं आये।

बैठक में बसपा की मायावती एवं सतीश चंद्र मिश्र, सपा के अखिलेश यादव एवं नरेश अग्रवाल राकांपा के शरद पवार तथा द्रमुक की कानिमोई ने भाग लिया। कुछ छोटे क्षेत्रीय दलों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने भी इस आयोजन में भाग लिया। इसमें झामुमो के हेमंत सोरेन एवं संजीव कुमार, आईयूएमएल के पी कुन्हालीकुट्टी, जदएस के सी एस पुत्ताराजू, एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल एवं आरएसपी के एन के प्रेमचंदन भी मौजूद थे।

बैठक में सोनिया के साथ-साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे। बैठक के बाद आजाद एवं शरद यादव ने एक संयुक्त बयान पढ़कर कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनर यह परंपरा रही है कि सत्तारूढ़ दल इस महत्वपूर्ण पद के लिए आम सहमति तैयार करने की पहल करता है।

बयान में कहा गया, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। यदि स्वीकार्य आम सहमति वाला उम्मीदवार उभर कर नहीं आता है तो हम (विपक्षी दल) हम ऐसे व्यक्ति को उतारने का निर्णय करेंगे जो हमारे गणतंत्र के संवैधानिक मूल्यों की मजबूती से रक्षा करेगा। यादव ने कहा कि विपक्ष भाजपा से अपील करता है कि वह आगे आये तथा राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पदों के लिए परंपरा के अनुसार आम सहमति वाले उम्मीदवार तय करे। किन्तु सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच आम सहमति की संभावना क्षीण नजर आ रही है। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि ऐसे व्यक्ति इन पदों पर बैठें जो संविधान की रक्षा कर सकें।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव से पहले गैर राजग दलों के बीच व्यापक एकता कायम करने का प्रयास कर रहे है जिसे गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं कर्नाटक जैसे राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव एवं 2019 के लोकसभा चुनाव तक आगे बढाया जा सके।

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