सुप्रीम कोर्ट आज केंद्र सरकार की नोट बंदी से संबंधित उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें सरकार ने कोर्ट से नोटबंदी से संबंधित किसी भी तरह की याचिका पर सुनवाई का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखने की अपील की है। केंद्र का कहना है कि हाईकोर्ट और निचली अदालतों में इस मामले पर सुनवाई नहीं होनी चाहिये क्योंकि इससे देश में भ्रम की स्थिति फ़ैल रही है।
केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि नोटबंदी को लेकर विभिन्न हाईकोर्ट और अदालतों में चल रही कार्यवाही पर रोक लगानी चाहिये क्योंकि इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सिर्फ शीर्ष अदालत में ही सुनवाई हो।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट दख़ल देने से इनकार कर चुका है
ग़ौरतलब है कि 15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को रोकने से इनकार किया था हालांकि उसने सरकार से पूछा था कि वो 10 दिन में बताए कि लोगों को बैंक और एटीएम में लग रही लंबी लाइनों से राहत देने के लिए क्या उपाए किए जा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा था कि हम हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, हम सिर्फ यह देखेंगे कि क्या समस्या को कम करने के लिए और कदम उठाए जा सकते हैं। किसी भी स्थिति में लोगों को समस्या नहीं होनी चाहिए। उधर याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नोट बंद करने की योजना निरस्त की जाए क्योंकि यह लोगों के जीवन और व्यापार के मौलिक अधिकारों से जुड़ा है।
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