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Hindi News भारत राजनीति 'नोटबंदी के निर्णय के पीछे घोटाला, जेपीसी जांच कराई जाए'

'नोटबंदी के निर्णय के पीछे घोटाला, जेपीसी जांच कराई जाए'

नयी दिल्ली: बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय को दुनिया में सबसे बड़ा अचानक किया गया प्रयोग करार देते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के पीछे एक घोटाला है

Rahul Gandhi- India TV Hindi Rahul Gandhi

नयी दिल्ली: बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय को दुनिया में सबसे बड़ा अचानक किया गया प्रयोग करार देते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के पीछे एक घोटाला है जिसकी संयुक्त संसदीय समिति :जेपीसी: से जांच करायी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष को सुनना चाहिए।

संसद भवन परिसर में नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्षी दलों के धरना प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद राहुल गांधी ने कहा, ये जो प्रधानमंत्री ने किया है, वह दुनिया का सबसे बड़ा अचानक किया गया वित्तीय प्रयोग है। इसके बारे में उन्होंने किसी ने नहीं पूछा। कहा जा रहा है कि वित्त मंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं थी। मुख्य आर्थिक सलाहकार को भी इसकी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि यह कदम वित्त मंत्री से चर्चा करके नहीं उठाया गया है, प्रधानमंत्री ने उठाया है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मांग की, प्रधानमंत्री देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह संसद में आएं और नोटबंदी के मुद्दे पर पूरी चर्चा के दौरान बैठें। उन्हें विपक्ष को सुनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश को लगता है कि इस नोटबंदी के पीछे एक घोटाला है। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष ने अपने लोगों को इसके बारे में पहले बताया। इसकी जेपीसी से जांच करायी जानी चाहिए।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास पॉप कंसर्ट को संबोधित करने का समय है। वह ऐसे समारोह को संबोधित कर सकते हैं जहां नाच-गाने का कार्यक्रम होता है लेकिन विपक्ष के 200 सांसद एक स्वर से उनसे नोटबंदी पर चर्चा सुनने और जवाब देने की मांग कर रहे हैं, पर उनके पास संसद में आने का समय नहीं है।

राहुल गांधी ने सवाल किया कि वह :मोदी: संसद में क्यों नहीं बोल रहे हैं। प्रधानमंत्री संसद के अंदर आने से क्यों डर रहे हैं। कुछ न कुछ तो कारण जरूर रहा होगा कि प्रधानमंत्री संसद में आने से डर रहे हैं। प्रधानमंत्री बतायें। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को फैसले की जानकारी नहीं थी लेकिन भाजपा के संगठन के कुछ लोगों और भाजपा के मित्र उद्योगपतियों को इसकी जानकारी थी।

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