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Hindi News भारत राजनीति 'फाइनेंशियल ऑडिट इज वेरी इंपॉर्टेंट, बट परफॉर्मेंस ऑडिट इज मोर इंपॉर्टेंट', केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बड़ा बयान

'फाइनेंशियल ऑडिट इज वेरी इंपॉर्टेंट, बट परफॉर्मेंस ऑडिट इज मोर इंपॉर्टेंट', केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बड़ा बयान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर नागपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अधिकारियों के कामकाज पर टिप्पणी की है।

नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री- India TV Hindi Image Source : इंडिया टीवी नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री

नागपुर :  केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि फाइनेंशियल ऑडिट काफी अहम है लेकिन उससे भी ज्यादा अहम परफॉर्मेंस ऑडिट है। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि देश में लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले। गडकरी नागपुर के वानामती ऑडीटोरियम में रोजगार मेला कार्यक्रम के अंतर्गत युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे।

ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा करने का प्रयास

गडकरी ने कहा-'देश की जो अर्थव्यवस्था है उसमें ज्यादा से ज्यादा रोजगार कैसे निर्माण हो इसके लिए सरकार की तरफ से प्रयास किया जा रहा है, जैसे-जैसे रोजगार निर्माण किया जा रहा है, उसके साथ-साथ सरकार में भी अनेक जगह को काफी दिनों तक भर्ती नहीं की जाती, जो red-tapism में फंस जाता है, और सालों साल वह जगह खाली रहती है। प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से आदेश दिया है कि इन खाली जगहों को तुरंत भरा जाना चाहिए। ऐसा आदेश सभी विभागों को दिया है, उसी के आधार पर सभी को नियुक्ति पत्र मिल रहा है।

कानून की स्पिरिट को नहीं समझने वाले काम नहीं कर सकते

नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी सरकार में 'फाइनेंशियल ऑडिट इज वेरी इंपॉर्टेंट, बट परफॉर्मेंस ऑडिट इज मोर इंपॉर्टेंट दैन फाइनेंसियल ऑडिट'  हमारे गलत निर्णय लोगों को तकलीफ देते हैं, जिसके कारण लोगों के जीवन में कारण ना होते हुए भी उन्हें तकलीफ होती है। लोग होते हैं जो सिर्फ कानून की बात करते हैं ,कानून का अर्थ होता है, देयर इज डिफरेंस बिटविन लेटर एंड स्पिरिट। कानून की स्पिरिट को जो नहीं समझते हैं, वो काम नहीं कर सकते हैं।

कुछ अधिकारी चल रहे काम को पंक्चर करते हैं

मैं अच्छे-अच्छे अधिकारी को कहता हूं, कि वो वीआरएस क्यों नहीं ले लेते। वह डिपार्टमेंट में नहीं आएंगे तब भी गति से काम चलेगा। उनके आने से तकलीफ में बढ़ती है। चलने वाले काम को वह आकर पंचर करते हैं। स्वाभाविक रूप से पॉजिटिविटी, ट्रांसपेरेंसी, करप्शन फ्री सिस्टम ,टाइमबॉन्ड डिसीजन मेकिंग सिस्टम होना चाहिए। गडकरी ने उदाहरण देते हुए कहा कि उनके एक अधिकारी हैं जो किसी भी फाइल को 3 महीने अध्ययन करते हैं। आईआईटी से पढ़े हुए हैं, उनको सलाह दी है कि रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिटीयुट के डायरेक्टर बन जाओ ,यहां तुम्हारी जरूरत नहीं है। एक बार गलत निर्णय किया तो चलेगा, इंटेंशन साफ होना चाहिए , निर्णय नहीं करना, फाइल को तीन तीन महीना दबाकर रखना यह बात ठीक नहीं है। नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनो।

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