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Hijab Row : कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर ओवैसी ने किया ट्वीट, जानिए क्या कहा

ओवैसी ने ट्वीट किया- मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं, फैसले से असहमत होना मेरा हक है। मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

Asaduddin Owaisi, AIMIM Leader- India TV Hindi Image Source : PTI Asaduddin Owaisi, AIMIM Leader

Highlights

  • मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं-ओवैसी
  • उम्मीद है याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे-ओवैसी

नयी दिल्ली : एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए यह उम्मीद जताई है कि याचिककर्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को लेकर दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब धार्मिक अनिवार्यता का हिस्सा नहीं है।  

कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सियासत तेज हो गई है। इस मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील की बात कह रहे हैं वहीं सियासी दलों के लोग भी मुखर हो उठे हैं। इसी क्रम में ओवैसी ने ट्वीट कर फैसले पर असहमति जताई है।

ओवैसी ने ट्वीट किया- मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं, फैसले से असहमत होना मेरा हक है। मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि मुझे उम्मीद है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ बाकी संगठन भी इस फैसले के खिलाफ अपील करें। 

आपको बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती। 

कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने आदेश का स्वागत किया और इसे ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया। चीफ जस्टिस ऋतु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जे एम खाजी की पीठ ने आदेश का एक अंश पढ़ते हुए कहा, ‘‘हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।’’ पीठ ने यह भी कहा कि सरकार के पास पांच फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है। इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है। मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

इनपुट-भाषा

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