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Karnataka News: कांग्रेस ने कर्नाटक सरकार पर बोला हमला, सीएम बोम्मई को बताया ‘संघ का गुलाम’

Karnataka News: कांग्रेस ने समाचार पत्रों में प्रकाशित सरकारी विज्ञापन में स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू को शामिल नहीं किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई।

Pandit Jawaharlal Nehru And Senior Congress Leader Siddaramaiah(File Photo)- India TV Hindi Image Source : PTI Pandit Jawaharlal Nehru And Senior Congress Leader Siddaramaiah(File Photo)

Highlights

  • एक मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए कितना नीचे जा सकते हैं: सिद्धरमैया
  • "कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने साबित कर दिया कि वह अभी भी RSS के गुलाम हैं"
  • "सीएम बोम्मई ने हमारी सोच को गलत साबित कर दिया कि अंग्रेजों के जाने के बाद गुलामी खत्म हो गई"

Karnataka News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत कर्नाटक सरकार द्वारा रविवार को न्यूज पेपर्स में प्रकाशित सरकारी विज्ञापन में स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू को शामिल नहीं किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई। इस मामले में निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने रविवार को राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुलाम’’ होने का आरोप लगाया। विपक्षी नेता सिद्धरमैया ने वी.डी.सावरकर पर भी हमला करते हुए कहा कि उन्होंने(वी.डी.सावरकर) ने अपना बचाव करने के लिए (ब्रिटिश) ‘‘कठपुतली’’ के तौर पर काम किया।

"एक सीएम अपनी कुर्सी बचाने के लिए कितना नीचे जा सकते हैं"

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने सिलसिलेवार ट्वीट में वी.डी.सावरकर पर भी हमला बोला और उन पर अपने बचाव के लिए ब्रिटिश अधिकारियों से विनती करने और उनकी (ब्रिटिश) ‘‘कठपुतली’’ के तौर पर कार्य करने का आरोप लगाया। सावरकर को विज्ञापन में शामिल किया गया है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘जब हम सोचते हैं कि अंग्रेजों के जाने के साथ ही गुलामी का अंत हो गया, तो कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने यह दिखाकर सबको गलत साबित कर दिया कि वह अभी भी RSS के गुलाम हैं। आज के सरकारी विज्ञापन में पंडित जवाहरलाल नेहरू को स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में शामिल नहीं करना, ये दिखाता है कि एक मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए कितना नीचे जा सकते हैं।’’ 

"ऐसा प्रतीत होता है कि RSS उदास है"

उन्होंने कहा कि बोम्मई को यह याद रखना चाहिए कि नेहरू ने लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इसके वास्ते पत्र और किताबें लिखीं, जबकि अंग्रेजों ने उन्हें नौ साल के लिए जेल में डाल दिया था। सिद्धरमैया ने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि आरएसएस(RSS) उदास है क्योंकि नेहरू ने सावरकर की तरह अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी और दया याचिका नहीं दी।’’

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