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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश अजब-गजब होली- यहां निकला ‘लाट साहब’ का जुलूस, होरियारों ने मारे जूते

अजब-गजब होली- यहां निकला ‘लाट साहब’ का जुलूस, होरियारों ने मारे जूते

<p>Laat Sahab</p>- India TV Hindi Laat Sahab

देश में रंगो के त्‍योहार होली के भी कई रंग हैं। उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में होली पर एक खास लाट साहब का जलूस निकाला जाता है। जिसमें होरियारों द्वारा लाट साहब पर जूते मारे जाते हैं। हालांकि उपद्रव को देखते हुए प्रशासान ने जूते मारे की रस्‍म पर रोक लगा दी है। इस साल होली पर लाट साहब का जुलूस धूमधाम से निकला। यूं तो शांतिपूर्वक संपन्न हो गया मगर प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद ‘लाट साहब’ को जूते मारने से नहीं रोका जा सका। लाट साहब का जुलूस चौक क्षेत्र स्थित फूलमती मंदिर से लाट साहब को मत्था टेकने के बाद चौक कोतवाली आया वहां पर कोतवाल ने लाट साहब को सलामी देने के साथ इनाम भी दिया। 

अंग्रेजी शासन के खिलाफ शुरू हुआ जुलूस 

अंग्रेजी शासन के दौरान गवर्नर जनरल को लाट साहब के नाम से खिताब किया जाता था और यह जुलूस अंग्रेज शासकों के जुल्म ज्यादती के खिलाफ आक्रोश के प्रतीक के तौर पर हर साल शाहजहांपुर में निकाला जाता है। इस जुलूस में लाट साहब को बैलगाड़ी पर तख्त डाल कर बिठाया गया तथा सिर पर हेलमेट भी पहनाया गया ताकि चोट ना लगे। इसके अलावा उनके ऊपर झाड़ू से हवा की जाती रही। होरियारे लोग लाट साहब की जय बोलते हुए उन्हें जूते मारते रहे। 

इस बार प्रशासन ने काफी चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था की थी ताकि कोई बवाल ना हो। इसीलिए लाट साहब को जूते मारने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी, परंतु प्रशासन की कोशिश के बाद भी होरियारे लाट साहब को जूता मारते रहे। यह जुलूस शहर के बाद विभिन्न मार्गों पर होते हुए घंटा घर पहुंचा और वहां से घूमता हुआ पुनः चौक क्षेत्र में जाकर सम्पन्न हो गया। 

जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने बताया कि जुलूस की निगरानी के लिए 4 ड्रोन कैमरे लगाए गए, जबकि पूरी सड़क पर 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों से लाट साहब के जुलूस पर निगरानी रखी गई। पुलिस अधीक्षक एस. चनप्पा ने बताया कि जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दो कंपनी आर ए एफ तथा दो कंपनी पीएसी बल तैनात किया गया था। 

इस जुलूस में लाट साहब बनने वाले व्यक्ति को इस बार गाजियाबाद से लाया गया था। ऐसे व्यक्ति को होली से 15 दिन पूर्व यहां लाकर गुप्त स्थान पर रखा जाता है। परंपरा के मुताबिक जुलूस के आयोजक उस व्यक्ति के पूरे परिवार को कपड़े देते हैं तथा काफी धन राशि भी दी जाती है। 

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