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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश काबा शरीफ जैसी हो सकती है अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद, बाबरी के बराबर होगा रकबा

काबा शरीफ जैसी हो सकती है अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद, बाबरी के बराबर होगा रकबा

मस्जिद का आकार बाकी मस्जिदों से बिलकुल अलग होगा। यह मक्का में स्थित काबा शरीफ की तरह चौकोर होगाा

<p>mosque to be built in Ayodhya can be like Kaaba...- India TV Hindi Image Source : FILE mosque to be built in Ayodhya can be like Kaaba Sharif

लखनऊ। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मिली जमीन पर बनने जा रही मस्जिद की बनावट परंपरागत स्वरूप से बिलकुल अलग हो सकती है और इसका नाम किसी भी बादशाह या राजा के नाम पर नहीं होगा। न्यायालय के आदेश पर सरकार से मिली पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद, इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, संग्रहालय और अस्पताल बनाने जा रहे इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव एवं प्रवक्ता अतहर हुसैन ने रविवार को बताया कि धन्नीपुर गांव में 15,000 वर्ग फुट क्षेत्र में मस्जिद बनाई जाएगी। यह रकबा बिलकुल बाबरी मस्जिद के बराबर ही होगा। 

उन्होंने कहा, ‘‘ इस मस्जिद का आकार बाकी मस्जिदों से बिलकुल अलग होगा। यह मक्का में स्थित काबा शरीफ की तरह चौकोर होगाा, जैसा कि मस्जिद के आर्किटेक्ट नियुक्त किए गए प्रोफेसर एस एम अख्तर ने अपने कुछ बयानों में इशारा भी दिया है।’’ इस सवाल पर कि क्या काबा शरीफ की ही तरह धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद में भी कोई गुंबद या मीनार नहीं होगी, हुसैन ने कहा ,‘‘ हां ऐसा हो सकता है।’’ 

आईआईसीएस सचिव ने कहा, ‘‘ देश-विदेश में जहां कहीं भी मस्जिदें स्थित हैं, उनका स्थापत्य या वास्तुकला उसी क्षेत्र विशेष या उसके निर्माणकर्ता के वतन की मान्यताओं के अनुसार तय किया जाता था। मगर यह जरूरी नहीं है कि वह विशुद्ध इस्लामी ही हो।’’ उन्होंने कहा कि काबा इस्लामिक आस्था की आदिकालीन इमारत है, लिहाजा यह माना जाना चाहिए कि इबादतगाह का स्वरूप अगर काबा जैसा ही हो तो वह सबसे बेहतर है। हुसैन ने कहा कि ट्रस्ट ने आर्किटेक्ट अख्तर को पूरी छूट दी है कि वह अपने हिसाब से काम करें। उन्होंने कहा,‘‘ ट्रस्ट ने तय किया है कि धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद नहीं होगा, यहां तक कि यह किसी भी अन्य बादशाह या राजा के नाम पर भी नहीं होगा। उनकी निजी राय है कि मस्जिद का नाम धन्नीपुर मस्जिद रखा जाए।’’ 

हुसैन ने बताया कि इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट ने अपना एक पोर्टल तैयार किया है जिसके जरिए लोग मस्जिद, संग्रहालय, अस्पताल और रिसर्च सेंटर के लिए चंदा दे सकेंगे। इसके अलावा पोर्टल पर राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस्लामी विद्वानों से लेखों और विचारों के रूप में योगदान लिया जाएगा। हुसैन ने बताया कि हालांकि अभी पोर्टल पर कुछ काम बाकी है और इस वजह से अभी चंदा जमा करने का काम शुरू नहीं हुआ है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ नवंबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण में फैसला सुनाते हुए संबंधित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित किए जाने का आदेश दिया था।

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