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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश UP election 2017: अमेठी में मुक़ाबला महारानियो और प्रजा-पति के बीच

UP election 2017: अमेठी में मुक़ाबला महारानियो और प्रजा-पति के बीच

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पाचवे दौर के लिए आज पूर्वी उत्रर प्रदेश की 51 सीटों पर मतदान हो रहा है। इन सीटों में सबसे ज़्यादा चर्चा में है अमेठी जहां से दो महारानियां आमने

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पाचवे दौर के लिए आज पूर्वी उत्रर प्रदेश की 51 सीटों पर मतदान हो रहा है। इन सीटों में सबसे ज़्यादा चर्चा में है अमेठी जहां से दो महारानियां आमने सामने हैं जबकि तीसरा उम्मीदवार इनके बीच खड़ा है। दरअसल यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय सिंह की पत्नी अमीता सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं जबकि संजय की पहली पत्नी गरिमा सिंह भी बीजेपी उम्मीदवार के रुप में मैदान में हैं। तीसरे उम्मीदवार गायत्री प्रजापति हैं जो सपा उम्मीदवार हैं। अमेठी के 2 लाख 96 हजार मतदाता आज  अपना फैसला मतपेटियों में सील कर देंगे।

राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र होने के कारण अमेठी को वीवीआईपी टैग मिला है लेकिन यहां प्रत्येक प्रत्याशी के लिए यहां करो या मरो की स्थिति बनी हुई है।

Sanjay Singh, Amita Singh

अमेठी में अमीता सिंह से कहीं ज़्यादा उनके पति संजय सिंह की साख दांव पर लगी हुई है। लंबे समय से कांग्रेस में रहे संजय सिंह की आवाज़ दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में कम ही सुनाई देती है ऐसे में अमेठी का चुनाव नतीजा तय करेगा कि उनकी आवाज़ की गूंज दिल्ली में सुनाई देगी या नहीं। उन्होंने  अमीता सिंह प्रियंका वाडरा के करीबी मानी जाती हैं लेकिन उनका प्रचार करने के लिए निजी कारणों के वजह से नहीं आ पाईं। अमीता ने सबसे आख़िरी दिन नामांकन दाख़िल किया था। 

Garima Singh

बीजेपी प्रत्याशी गरिमा सिंह के लिए ये लड़ाई सियासी कम व्यक्तिगत ज़्यादा है। यही वजह है कि सड़क बिजली पानी जैसे चुनावी मुद्दों की बजाए उनके भाषणों में विरासत की सियासत हावी रही है। वैसे पहले गरिमा के लड़के अनंत विक्रम सिंह खुद अपने लिए टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा ने मां को टिकट देकर राजघराने के झगड़े को जनता के दरबार में लाकर खड़ा कर दिया है।

Prajapati

तीसरे उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के मंत्री और मुलायम सिंह के चहेते गायत्री प्रजापति हैं जो विवादों में घिरे हुए हैं। उन पर बलात्कार के आरोप हैं। इस आरोप से वे इतने आहत और डरे हैं कि एक रैली में वो मंच पर रोने ही लगे थे। दिलचस्प बात ये है कि अखिलेश यादव ने उनके लिए प्रचार नही किया। 

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