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उत्तर प्रदेश: सर्वसम्मति से पारित हुआ संविधान संशोधन विधेयक

सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन ने इस विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुये कहा ‘‘यह विधेयक समाज में समानता लाने वाला है। यह देश के दबे-कुचले लोगों को समाज की अगली कतार में खड़ा करने वाला है। हमारी पार्टी सदैव इसका समर्थन करती रही है।’’

yogi adityanath- India TV Hindi Image Source : PTI प्रतिकात्मक तस्वीर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने भी मंगलवार को अपने विशेष सत्र के दौरान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण की अवधि को 10 साल के लिए और बढ़ाने के विधेयक को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। विधान परिषद में नेता सदन उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुके 126वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 को समर्थन देने का प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में पिछले 70 वर्षों से दिए जा रहे अजा, अजजा और एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण की मीयाद 25 जनवरी, 2020 को खत्म होने वाली थी।

सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन ने इस विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुये कहा ‘‘यह विधेयक समाज में समानता लाने वाला है। यह देश के दबे-कुचले लोगों को समाज की अगली कतार में खड़ा करने वाला है। हमारी पार्टी सदैव इसका समर्थन करती रही है।’’

सदन में बसपा के नेता दिनेश चन्द्रा ने कहा ‘‘यह एक ऐतिहासिक विधेयक है। इस विधेयक के माध्यम से ही हमारे समाज के लोग इस सदन में आते हैं। इसका मैं पुरजोर समर्थन करता हूं।’’ कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने कहा ‘‘आज ही के दिन पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई थी। यह विधेयक सभी को समानता का अधिकार देता है। कांग्रेस सरकार ने ही भारत को संविधान दिया है।’’

उन्होंने कहा कि वह इस विधेयक का जोरदार समर्थन करते हैं। अपना दल के आशीष पटेल ने इस विधेयक का समर्थन करते हुये कहा कि नौकरियों में बैकलाग की रिक्तियों को पूरा नहीं भरा जा रहा है जिन्हें पूरा किया जाना चाहिये। शिक्षक दल के जगवीर किशोर जैन, निर्दलीय समूह के नेता राज बहादुर सिंह चन्देल, सपा नेता राजपाल कश्यप, आनन्द भदौरिया और लीलावती कुशवाहा ने भी आरक्षण विधेयक का पुरजोर समर्थन किया। विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किये जाने के बाद सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गयी। मालूम हो कि संसद ने हाल ही में इस संबंध में एक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया और कानून बनने से पहले राज्य विधानसभाओं द्वारा इसका अनुमोदन किया जाना है।

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