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श्रीनगर में कश्मीरी पंडितों ने कृष्ण जन्माष्टमी पर निकाली शानदार झांकी, इसे देखने भारी संख्या में जमा हुए मुस्लिम लोग

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न राज्यों से श्रीनगर पहुंचे कश्मीरी पंडितों ने वहां बेहद खूबसूरत झांकी निकाली। इस झांकी को देखने के लिए वहां भारी संख्या में लोग एकत्रित हुए।

श्रीनगर में कश्मीरी पंडितों ने कृष्ण जन्माष्टमी पर निकाली शानदार झांकी- India TV Hindi Image Source : SOURCE: INDIA TV श्रीनगर में कश्मीरी पंडितों ने कृष्ण जन्माष्टमी पर निकाली शानदार झांकी

जम्मू कश्मीर: आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जा रहा है। इस अवसर पर श्रीनगर में अलग-अलग राज्यों से कश्मीरी पंडित पहुंचे। वहां कश्मीरी पंडितों ने भगवान श्री कृष्ण और राधा की एक बहुत बड़ी झांकी निकाली। लाल चौक पर हर तरफ सिर्फ भजन की आवाज सुनाई दी। इस दौरान लोगों ने प्रार्थना की कि कश्मीर में हमेशा इसी तरह अमन और शांति बनी रहे।

Image Source : Source: India TVझांकी में बड़ी संख्या में एकत्रित हुए लोग

यह तस्वीर श्रीनगर की है जहां लोगों ने बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हुए दिखाई दिए। यहां देश के अलग-अलग राज्यों से कश्मीरी पंडित पहुंचे हैं जिन्होंने कृष्ण और राधा की झांकी निकाली। यह झांकी श्रीनगर के विभिन्न इलाकों से होते हुए हब्बा कदल बरबरशाह पहुंची और फिर वहां से ऐतिहासिक लाल चौक पहुंची। वहां बड़ी संख्या मुस्लिम लोग इकट्ठे होकर झांकी के आने का इंतजार कर रहे थे।

भजनों में मगन हुए लोग

 ऐतिहासिक लाल चौक पर जैसे ही झांकी पहुंची, लोगों में जमकर उत्साह देखा गया। वहां ऐसा माहौल बन गया जैसा 1990 के दशक से पहले देखने की झांकियों में देखने को मिलता था। लाल चौक पर जमा हुई पूरी भीड़ भगवान श्रीकृष्ण के भजन गाते हुए नाचने में मगन हो गई।

Image Source : Source: India TVभजन में मगन हुए लोग

3 किलोमीटर चली झांकी

यह झांकी श्रीनगर में जहां-जहां से गुजरी वहां खुशी का माहौल बन गया। लोग भजन में डूब गए। करीब 3 किलोमीटर चली इस झांकी में हर कोई भजनों में मगन होता दिखाई दिया। इस झांकी में पुरुष,महिला और बच्चों के साथ ही साथ वहां काम करने वाले दूसरे राज्य के कर्मचारी भी शामिल हुए। इतनी ही नहीं इस झांकी में मुस्लिम समाज के लोगों ने भी भाग लिया और हिंदू-मुस्लिम के बीच भाई-चारा का एक बेहतरीन उदाहरण दिया।

1990 से पहले के दशक की आई याद

कश्मीर में 1990 के दशक से पहले इसी तरह हर त्योहार और पर्व को खुशी के साथ मनाया जाता था। मगर वहां से कश्मीरी पंडितों को पलायन के बाद यह प्रथा धीरे-धीरे समाप्त हो गई थी। पिछले कुछ समय से वो पुराना दशक फिर से शुरू हुआ है और अब पहले की तरह ही त्योहारों और पर्वों को खुशी के साथ मनाया जाने लगा है।

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