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Hindi News जम्मू और कश्मीर परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर की सियासत कितनी बदली? अनंतनाग सीट का जानिए हाल

परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर की सियासत कितनी बदली? अनंतनाग सीट का जानिए हाल

Lok Sabha Elections 2024: एनसी, पीडीपी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस का मानना है कि पुंछ-राजौरी को अनंतनाग सीट से जोड़ना कश्मीर में बीजेपी की एंट्री का मकसद है, जो कभी मुमकिन नहीं हो सकता। हालांकि, बीजेपी और दूसरे राजनीतिक दल अनंतनाग सीट पर अभी से जीत का दावा कर रहे हैं।

प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

Lok Sabha Elections 2024: परिसीमन से जम्मू-कश्मीर की सियासत की तस्वीर बदल गई है। पीडीपी, एनसी और बीजेपी के अलावा इस बार तीन बड़े राजनीतिक दल गुलाम नबी आजाद की DPAP, सज्जाद लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस और अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी लोकसभा चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस का मानना है कि पुंछ-राजौरी को अनंतनाग सीट से जोड़ना कश्मीर में बीजेपी की एंट्री का मकसद है, जो कभी मुमकिन नहीं हो सकता, जबकि बीजेपी और दूसरे राजनीतिक दल अनंतनाग सीट पर अभी से जीत का दावा कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर की 5वीं लोकसभा सीटों में अनंतनाग-पुंछ-राजौरी ऐसी सीट है, जिसका नव निर्मित ट्रांस-पीर पंजाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र असंख्य कारणों से सबसे अधिक नजर रखी जाने वाली सीटों में से एक है। भौगोलिक, जातीय और राजनीतिक रूप से विविध क्षेत्रों वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में 7 मई को मतदान होगा। अनंतनाग-पुंछ संसदीय क्षेत्र 2022 में निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण की प्रकृति के कारण राजनीतिक खींचतान में फंस गया है। पुंछ और राजौरी जिले पहाड़ी भाषी आबादी के गढ़ हैं। ऐसे में इस सीट पर जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों की पहली नजर है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा 2023 में पहाड़ी आबादी के लिए एससी/एसटी आरक्षण बढ़ाए जाने के बाद स्थायी वोट बैंक हैं।

अनंतनाग सीट पर पार्टियों का दावा

ऐसे में बीजेपी के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस और गुलाम नबी आजाद की पार्टी ये दावा करते हैं कि वह इस सीट को रिकॉर्ड अंतर से जीतेगी। हालांकि, पहाड़ी लोगों ने अब तक नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन किया है, जबकि गुज्जरों और बकरवालों ने मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को वोट दिया है। जातीय पहाड़ी समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण के विस्तार तक एसटी के लिए आरक्षित सीटों में अंतर-सामुदायिक प्रतिस्पर्धा के कारण विधानसभा चुनावों के दौरान इस राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ सकता है।

इंडिया टीवी से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ फारूक अहमद डार ने कहा इस बार के चुनाव बिल्कुल अलग और टफ होंगे, क्योंकि पुंछ-राजौरी को अनंतनाग सीट के साथ शमिल करने से बीजेपी और आजाद की पार्टी को फायदा मिल सकता है। हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का भी अपना वोट बैंक है, जैसे पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस में गठबंधन ना होने पर वोट बंट जाएगा, इसका फायदा बीजीपी और आजाद की पार्टी को जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एनसी, पीडीपी, डीपीएपी और अपनी पार्टी की कोशिश गैर-पहाड़ी वोटों का 40% और पहाड़ी समुदाय को अपनी तरफ करने की कोशिश है, जिसके परिणामस्वरूप वोटों का विभाजन हो सकता है।

गठबंधन में दूरियां खत्म होने की उम्मीद

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दोनों पार्टियों के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर शाह को उम्मीद है कि गठबंधन के बीच जो दूरियां हैं वो बहुत जल्दी खत्म होंगी। इस पर अभी भी पार्टी के बीच विचार हो रहा है। मुजफ्फर शाह का कहना है कि PAGAD और I.N.D.I.A अलायंस बनाने का मकसद यही है कि बीजेपी को कश्मीर से दूर रखना और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इसका क्रेडिट जरूर बीजेपी और दूसरी पार्टी को जा सकती है। 

अनंतनाग लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 16 सीटें आती हैं। इस सीट पर अब तक 13 चुनाव में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को सबसे ज्यादा जीत मिली है। 2004 और 2014 में महबूबा मुफ्ती ने वापसी करते हुए जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने बाजी मारी।