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भारतीय छात्रों को ट्रूडो सरकार की सहायता से कनाडा में आक्रोश

कोरोना संकट के दौरान विदेशी छात्रों को हर महीने 2,000 डॉलर का मासिक लाभ देने के कनाडा सरकार के फैसले से स्थानीय छात्रों में नाराजगी है, जिन्हें केवल 1,250 डॉलर ही मिल रहे हैं।

<p>Indian students outraged in Canada with the help of...- India TV Hindi Image Source : GOOGLE Indian students outraged in Canada with the help of Trudeau government

टोरंटो। कोरोना संकट के दौरान विदेशी छात्रों को हर महीने 2,000 डॉलर का मासिक लाभ देने के कनाडा सरकार के फैसले से स्थानीय छात्रों में नाराजगी है, जिन्हें केवल 1,250 डॉलर ही मिल रहे हैं।
कनाड़ा में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ते हैं। यहां फिलहाल कुल 642,480 विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें भारतीय छात्रों की संख्या 219,855 है। यानी यहां करीब एक तिहाई छात्र भारतीय हैं। उन्हें इस तरह से तरजीह देने पर इंडो-कनाडाई समुदाय के कई लोगों में नाराजगी दिखाई दे रही है।

चूंकि भारतीय छात्रों को सप्ताह में 20 घंटे काम करने की अनुमति दी जाती है, इसलिए स्थानीय समुदाय के कई लोग रेडियो और टीवी टॉक शो में उनके खिलाफ स्थानीय नौकरियों पर कब्जा जमाने का आरोप लगाकर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।

पंजाबी साप्ताहिक खबरनामा चलाने वाले पत्रकार बलराज देओल ने कहा कि प्रत्येक छात्र को 2,000 डॉलर की मासिक सहायता दी जा रही है और साथ ही उन्हें अपने काम से कमाई करने की भी अनुमति दी जा रही है। देओल ने कहा कि कोरोना ने तो विदेशी छात्रों के लिए एक प्रकार का बोनस दे दिया है।

उन्होंने कहा, सामान्य समय में भले ही उन्हें 14 डॉलर प्रति घंटे के हिसाब से अनिवार्य न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाता है और कोई भी विदेशी छात्र प्रति माह 1100 डॉलर से अधिक नहीं कमा सकता है, लेकिन अब वे सरकारी सहायता के साथ प्रति माह 3,000 डॉलर से भी अधिक कमा सकते हैं।

एक अन्य पंजाबी पत्रकार ने कहा: कहा जा रहा है कि कई छात्र भारत में अपने परिवारों को पैसे भेज रहे हैं। मैंने यह भी सुना है कि उनमें से कई ऐसे हैं जो फिलहाल भारत में अटक गए हैं मगर फिर भी वो धन का दावा कर रहे हैं। हालांकि उन्हें कानूनी तौर पर कनाडा में होने की आवश्यकता है। जब ऐसा है तो फिर पंजाब में अपने बच्चों को कनाडा भेजने का क्रेज क्यों नहीं होगा?

भारत से जितने भी छात्र कनाडा पहुंचते हैं, उनमें से अकेले पंजाब से ही 70 फीसदी से अधिक छात्र होते हैं। स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्र एजे सिंह (बदला हुआ नाम), जो टोरंटो के बाहरी इलाके में पंजाबी बहुल ब्राम्पटन में पैदा हुए थे, उनका कहना है कि वह 'कोरोना बोनान्जा' (संकट के समय मिल रही सहायता) के लिए भारत के साथी छात्रों से ईष्र्या महसूस कर रहे हैं।

छात्र ने कहा कि यह सरकारी सहायता गर्मियों में नौकरियों के नुकसान के कारण सभी छात्रों को दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि वह कनाडा में पैदा हुए पले-बढ़े मगर उन्हें अब अपने ही देश में विदेशी छात्रों की तुलना में कम मूल्यवान महसूस हो रहा है। हालांकि ब्राम्पटन स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) नवाब सिंह हीर का मानना है कि विदेशी छात्रों के लिए दिया जा रहा बड़ा मुआवजा कनाडा का एक प्रकार से दीर्घकालिक निवेश है।

उन्होंने कहा, चूंकि विदेशी छात्र स्थानीय छात्रों की तुलना में तीन गुना अधिक शुल्क का भुगतान करते हैं तो सरकार को लगता है कि यह पैसा तब वसूल हो जाएगा, जब इनमें से अधिकांश स्थायी निवासी बन जाएंगे। सरकारी सहायता के बिना इनमें से अधिकांश कनाडा छोड़ देंगे और इससे कनाडा के शिक्षा उद्योग को लंबे समय में नुकसान उठाना पड़ेगा।
 

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