A
Hindi News एजुकेशन न्‍यूज GANDHI JAYANTI 2019: जानिए शिक्षा को लेकर क्या था गांधी जी का विजन

GANDHI JAYANTI 2019: जानिए शिक्षा को लेकर क्या था गांधी जी का विजन

गाँधी जी ने वर्धा में अपने हरिजन के अंकों में शिक्षा पर योजना प्रस्तुत की, इसे ही 'वर्धा योजना' कहा गया।

<p>GANDHI JAYANTI 2019:</p>- India TV Hindi GANDHI JAYANTI 2019:

GANDHI JAYANTI 2019: देश में आज शिक्षा के दौरान स्किल डेवल्पमेंट की जो बातें आज हो रही हैं, उनमें से कई सुझाव गांधी जी ने 1937 में महाराष्ट्र के वर्धा में सुझाए थे। जुलाई 1937 में हरिजन में लिखे एक लेख में गांधी जी शिक्षा के बारे में कहते हैं, ''शिक्षा से मेरा मतलब है कि एक बच्चे या व्यक्ति दे मस्तिष्क, शरीर और आत्मा को चौतरफा निखारना। सिर्फ साक्षर होना ही शिक्षित होना नहीं है, इसलिए मैं एक बच्चे की शिक्षा की शुरुआत उसे उपयोगी हस्तकला सिखाने से करना चाहूंगा, इससे हर पाठशाला आत्मनिर्भर बनाई जा सकती है बशर्ते की स्कूलों में बनने वाली वस्तुओं को राज्यों को खरीदना होगा।''

22 और 23 अक्तूबर 1937 को महाराष्ट्र के वर्धा में हुई ऑल इंडिया एजुकेशन कॉन्फ्रेंस में देश के कई शिक्षाविदों ने भाग लिया था और महात्मा गांधी भी वहां मौजूद थे। शिक्षा को लेकर की गई कॉन्फ्रेंस में कई विचार विमर्श हुए और बाद में एक कमेटी का गठन किया गया, गठित कमेटी ने अपने सुझाव दिए और मार्च 1938 में कमेटी की रिपोर्ट प्रकाशित की गई जिसे वर्धा शिक्षा योजना कहा जाता है। वर्धा शिक्षा योजना को महात्मा गांधी ने ही मान्यता दी थी और बाद में कांग्रेस ने इस योजना को मंजूरी दी थी। 

वर्धा शिक्षा योजना के मुख्य पहलूओं पर नजर डालें तो गांधी जी के सुझाव पर 6 से 14 वर्ष आयू तक देश में सभी को मुफ्त और जरूरी शिक्षा की बात कही गई थी, पाठशालाओं में शिक्षा के साथ स्किल डेवल्पमेंट की बात भी कही गई थी ताकि बच्चों को स्कूलों में ही अलग-अलग तरह के स्किल सिखाए जा सकें। जिन स्किल्स के बारे में इस शिक्षा योजना में कहा गया है वह स्पिनिंग, कृषि, बढ़ईगिरी, फल एवं फूल खेती, बर्तन बनाना, लेदर वर्क, मछली पालन, हेंडीक्राफ्ट और होम साइंस हैं। इस तरह के स्किल से जो उत्पाद तैयार होते उनको राज्यों को खरीदने की शर्त रखी गई थी ताकि पाठशालाएं आत्मनिर्भर बन सकें। शिक्षा नीति में भाषा माध्यम मातृ भाषा रखे जाने की बात कही गई थी। 

Latest Education News