सावन में नॉन वेज क्यों नहीं खाना चाहिए, धार्मिक ही नहीं ये वैज्ञानिक कारण भी हैं इसकी बड़ी वजह
Saawan Main Non Veg: सावन के महीने में लोग नॉन वेज खाना छोड़ देते हैं। जो लोग सप्ताह में 3-4 दिन मांसाहारी खाना खाते हैं वो भी इस महीने में मीट को हाथ नहीं लगाते। इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं के अलावा वैज्ञानिक कारण भी हैं। जानिए सावन में नॉनवेज क्यों नहीं खाना चाहिए?

सावन का महीना भगवान शिव का महीना कहा जाता है। इस पूरे महीने भक्त व्रत-उपवास करके भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं। पूजा-पाठ करते हैं और नॉन वेज से दूर रहते हैं। हिंदू धर्म में सावन के महीने में खान-पान को लेकर भी कुछ नियम बताए गए हैं। इस महीने में दही या उससे बनी चीजें नहीं खाते हैं। बैंगन, करेला और हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसे ही सावन के महीने में मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित माना गया है। हार्ड कोर नॉन वेज खाने वाले लोग भी इस महीने में मांस मछली को हाथ नहीं लगाते हैं। इसके पीछे सिर्फ धार्मिक नियम ही नहीं हैं बल्कि कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं जिसकी वजह से सावन में नॉन वेज नहीं खाना चाहिए।
सावन में नॉन वेज क्यों नहीं खाते हैं?
सावन को शिव का पावन महीना माना जाता है। घर में धार्मिक और सात्विक माहौल रहता है। पूजा पाठ करने की सलाह दी जाती है। जिसकी वजह से बड़े-बुजुर्ग मांसाहारी खाने को त्यागने की सलाह देते हैं। नॉन वेज के अलावा शराब पीना या धूम्रपान करना भी इस महीने में मना किया जाता है। इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं तो हैं ही साथ ही डॉक्टर भी कई कारण बताते हैं और कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं।
नॉन वेज को पचाना मुश्किल- सावन यानि बारिश का महीना, जहां सीलन, नमी और हवा में आर्द्रता बढ़ जाती है। इस मौसम में धूप कम निकलती है। बारिश के महीने में हमारी पाचन अग्नि कमजोर होने लगती है। ऐसे में भारी खाना पचाना मुश्किल हो जाता है। नॉनवेज को पचाने में सामान्य दिनों में 5-6 घंटे लगते हैं तो वहीं सावन में इस खाने को पचाने में 8-10 घंटे लग सकते हैं। लंबे समय तक खाना जब आंत में पड़ा रहता है तो सड़ने लगता है। जिससे पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए बारिश में हल्का और आसानी से पचने वाला खाने की सलाह दी जाती है।
इंफेक्शन का खतरा- बारिश के दिनों में खाना और पानी सबसे ज्यादा दूषित होता है। खराब पानी पीने से जीव जंतु संक्रमित होने लगते हैं। मछलियों में संक्रमण बढ़ जाता है। संक्रमित नॉन वेज खाने से शरीर में दिक्कत हो सकती है। वातावरण में नमी होने की वजह संक्रमण फैलने का डर ज्यादा होता है। इसलिए जानवरों से होने वाले संक्रमण का खतरा रहता है।
जीवों का गर्भधारण का समय- मानसून में ज्यादातर जीव गर्भधारण करते हैं। खासतौर से पानी में रहने वाले जीवों के लिए बारिश का सीजन ब्रीडिंग का सीजन होता है। अगर आप इस समय नॉनवेज खाते हैं तो ये जीवों की प्रजनन प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ होगी। इसलिए नॉनवेज नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
सावन में ये शाकाहारी चीजें भी नहीं खाएं
आयुर्वेद की मानें तो सावन के महीने में सिर्फ नॉनवेज ही नहीं बल्कि कुछ वेज चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस समय पाचन क्रिया धीमी होती है। ऐसे में हाई प्रोटीन फूड, दही और उससे बनी चीजें जैसे कढ़ी को पचाना मुश्किल हो सकता है। वात की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए करेला, हरी पत्तेदार सब्जियां, बैंगन, मूली, कटहल का सेवन भी सावन में नहीं करना चाहिए।