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सावधान! देश में लगातार बढ़ रहे है थायरॉइड के मरीज

एसआरएल का यह विश्लेषण साल 2014-16 की अवधि के दौरान देश भर में 33 लाख से ज्यादा वयस्कों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें थायरॉइड पैनल के तीनों मार्कर्स- टीएसएच, टी4 और टी3 के आधार पर विश्लेषण किया गया, जिसमें से 68 फीसदी रिपोर्ट्स सामान्य पाई

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थायरॉइड की बीमारी आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है और कई तरह की समस्याएं पैदा करती हैं, जैसे वजन बढ़ना, हॉर्मोनों का असंतुलन आदि। पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं, हालांकि महिलाओं की तुलना में उनके इस रोग से पीड़ित होने की संभावना कम होती है।

अल्पसक्रिय थायरॉइड के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में एक ही तरह के होते हैं। जैसे कमजोरी, वजन बढ़ना, अवसाद और कॉलेस्ट्रोल का ऊंचा स्तर। इसके अलावा, पुरुषों में आमतौर पर कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं जैसे बाल झड़ना, पेशियों की क्षमता में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और यौनेच्छा में कमी।

रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में थायरॉइड विकार की संभावना महिलाओं की तुलना में 8 गुना कम होती है, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि वे इस खतरे से पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि जल्दी निदान एवं उपचार इसमें कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेन्ट एक सुरक्षित एवं प्रभावी उपचार है, जिसके द्वारा लक्षणों का प्रबंधन करके रोग की जटिलताओं से बचा जा सकता है। सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण सामान्य से कम स्तर पर होते हैं, यह एक मूक रोग है जिसके मामले भारतीय आबादी में तेजी से बढ़ रहे हैं।

डॉ.फड़के ने कहा, "आनुवंशिकी भी थायरॉइड हॉर्मोन और टीएसएच सांद्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ऑटोइम्यून थॉयराइड रोग का मुख्य कारण है। वे लोग जिनके परिवार में थायरॉइड की समस्याओं का इतिहास होता है, उनमें इस विकार की संभावना अधिक होती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने परिवार के चिकित्सकीय इतिहास के बारे मे जागरूक हों, क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।"

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