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डायबिटीज के चेकअप के लिए एचबीए1सी मापन ज्यादा कारगर

तकरीबन पांच करोड़ लोग टाइप-2 डाइबिटीज (डाइबिटीज मेलिटस) से पीड़ित हैं। भारत में इस रोग के शिकार लोगों की संख्या दुनिया के बाकी देशों से ज्यादा है। हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार डाइबिटीज के निदान और डाइबिटीज-पूर्व पहचान के लिए एचबीए1सी जांच..

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नई दिल्ली: तकरीबन पांच करोड़ लोग टाइप-2 डाइबिटीज (डाइबिटीज मेलिटस) से पीड़ित हैं। भारत में इस रोग के शिकार लोगों की संख्या दुनिया के बाकी देशों से ज्यादा है। हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार डाइबिटीज के निदान और डाइबिटीज-पूर्व पहचान के लिए एचबीए1सी जांच महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि मधुमेह की जांच में एचबीए1सी मापन ज्यादा कारगर है।

मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनी ट्रिव्रिटॉन हेल्थकेयर ने सेबिया के सहयोग में एचबीए1सी मापन संबंधी ताजा जानकारियों पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। आजकल एचबीए1सी डाइबिटीज के नवीनतम नैदानिक साधनों में से एक है। अधिकतर देशों में इसे मौजूदा ब्लड ग्लूकोज टेस्ट के पूरक के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा है।

इस अवसर पर क्लिनिकल केमिस्ट्री के विशेषज्ञ डेविड सैक्स ने कहा, "डाइबिटीज के निदान की सुविधा, सटीकता और त्वरित गति के लिए एचबीए1सी एक प्रमाणित विधि है। दुनिया भर में डाइबिटीज से पीड़ित हर 2 में 1 व्यक्ति की बीमारी की पहचान नहीं होती। आज कम समय में सटीक नतीजे उपलब्ध कराने वाले एचबीए1सी जैसे नैदानिक उपकरण को सामान्य जनों के लिए ज्यादा सुलभ और सस्ता बनाने की अत्यंत आवश्यकता है।"

ट्रिव्रिटॉन हेल्थकेयर के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नितिन सावंत ने कहा , "भारत में आजकल जीवनशैली से जुड़ी गड़बड़ी के विषय में डाइबिटीज की सबसे अधिक चर्चा है। ट्रिव्रिटॉन ने हमेशा ही अत्याधुनिक तकनीक का समर्थन किया है जो भारतीय जनसाधारण के लिए किफायती स्वास्थ्य सेवा समाधान में सहायक हो सकती है। एचबीए1सी के विषय में पर्याप्त जागरूकता के साथ हम विश्व स्तर पर स्वीकृत इस तकनीक को भारत में भी डाइबिटीज पर नियंत्रण के असरदार साधन के रूप में बढ़ावा दे सकते हैं।"

एचबीए1सी ग्लाइसेटेड हीमोग्लोबिन है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर एक तरह का प्रोटीन है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। यही हीमोग्लोबिन जब रक्त में ग्लूकोज से मिल जाता है तब 'ग्लाइसेटेड' हो जाता है। एचबीए1सी को मुख्यत: तीन महीनों के औसत प्लाज्मा ग्लूकोज संकेंद्रण की पहचान के लिए मापा जाता है। ग्लाइसेटेड हीमोग्लोबिन (एचबीए1सी) की माप की मदद से चिकित्सकों को मरीज के शरीर में सप्ताहों/महीनांे की अवधि में औसत ब्लड शुगर स्तर कितना-कितना था, इसकी पूरी तस्वीर मिल जाती है।

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