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अंगों के संरक्षण का नया तरीका ढूंढा

न्यूयॉर्य: अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह खबर खुशखबरी से कम नहीं है, क्योंकि शोधकर्ताओं ने केवल ऊतक ही नहीं, बल्कि अंगों को भी ज्यादा समय तक संरक्षित करने का एक

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न्यूयॉर्य: अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह खबर खुशखबरी से कम नहीं है, क्योंकि शोधकर्ताओं ने केवल ऊतक ही नहीं, बल्कि अंगों को भी ज्यादा समय तक संरक्षित करने का एक नया तरीका ढूंढ निकाला है। ऑरेगन स्टेट युनिवर्सिटी के एडम हिगिंस ने कहा, "अधिक से अधिक जटिल ऊतकों व अंगों को संरक्षित करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।"

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अब तक वीर्य, रक्त, भ्रूण, पौधों के बीज व कुछ जैविक अनुप्रयोगों को संरक्षित करने के लिए आइस-फ्री क्रायोप्रिजर्वेशन का इस्तेमाल व्यापक तौर पर होता रहा है।

हिगिंस ने कहा कि पानी के जमने से रवाकरण का खतरा होता है, जिसके कारण ऊतक या कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं।

इसके समाधान के लिए शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के क्रिप्टोप्रोटेक्टैंट्स का इस्तेमाल किया, जो जमने की प्रक्रिया के दौरान नष्ट होने वाली कोशिकाओं की संख्या को कम करता है। इनमें इथीलिन ग्लायकॉल का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसका इस्तेमाल मोटरगाड़ियों के रेडियेटर में पानी को जमने से रोकने के लिए किया जाता है।

उन्होंने कहा कि एक बड़ी समस्या यह है कि इनमें से अधिकांश क्रिप्टोप्रोटैक्टेंस जहरीले हैं और ये कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने इस क्षति को कम से कम करने के लिए एक गणितीय मॉडल का विकास किया।

उन्होंने पाया कि यदि शुरुआत में कोशिकाओं का सामना कम से कम क्रिप्टोप्रोटैक्टेंस से होता है और जब वे थोड़ी देर में फूल जाते हैं, तब वे अधिक से अधिक क्रिप्टोप्रोटैक्टेंस से सामना के लिए तैयार हो जाते हैं।

हिगिंस ने कहा कि इस प्रक्रिया से कोशिकाओं को कम से कम नुकसान होता है।

यह निष्कर्ष पत्रिका 'पीएलओएस ओएनई' में प्रकाशित हुआ है।

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