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Hindi News लाइफस्टाइल हेल्थ कैंसर के ट्रीटमेंट में जब दवा हो जाएं बेअसर, तो करें ये काम

कैंसर के ट्रीटमेंट में जब दवा हो जाएं बेअसर, तो करें ये काम

एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें मरीज उस हालात में होता है जब जिंदगी और मौत के बीच फासले कम होते हैं। आम बोल चाल की भाषा में इसे लेट स्टेज कैंसर कहते हैं। जहां डाक्टरों के पास भी करने को बहुत कुछ नहीं बचा होता है। जानिए इसके बारें में...

rakesh garg

क्या है पैलेटिव केयर यूनिट

एम्स में पैलेटिव केयर यूनिट चलाने वाले डाक्टर राकेश गर्ग की मानें तो उनके पास मरीज तब आता है जब जिंदगी की उम्मीद बेहत कम होती है। ऐसे में इलाज को वो 4 भागों में बांट देते हैं।
1. फिजीकल – इसमें मरीज की बेसिक दवाएं चलती है जिससे की उसे दर्द कम से कम महसूस हो।
2. सोशियल – ये वो सामाजिक स्थिती होती है जिसमें मरीज को बिमारी और उससे उपजे सामाजिक हालात से परिचय कराया जाता है।
3. फिजीयोलाजिकल – इस हालात में मरीज काफी डिप्रेशन मे चला जाता है जिसकी वजह से उसमें काफी परिवर्तन आते हैं। ऐसे में उसे डिप्रेशन से कैसे दूर किया जाये इसकी कोशिश की जाती है।
4. स्प्रिचुएल – आध्यत्म एक ऐसा विषय है जिसके जरिए मरीज को जिंदगी को कैसे जीए और इस जिंदगी का आध्यत्मिक महत्व क्या है ये बताया और समझाया जाता है

इस बात के जो परिणाम हैं मरीजों में वो पहले से काफी बेहतर देखा गया। डाक्टर राकेश गर्ग की मानें तो शुरुआत में जब ये पैलेटिव केयर यूनिट बना तो इसके परिणाम को लेकर लोग काफी सशंकित थे लेकिन जब मरीजों में सकारात्मक परिणाम दिखने लगा तो इस यूनिट की ओपीडी तीन दिन से बढाकर 6 दिनों तक के लिए किया गया वो भी दिन में दो बार।

दरसल डाक्टर राजेश गर्ग के मुताबिक पैलेटिव केयर यूनिट में हर तरह के दर्द से निजात दिलाने की कोशिश की जाती है चाहे वो दर्द शारीरिक हो या मानसिक। कई बार मरीज के पारिवारिक हालात पर भी काउसिलिंग की जाती है जैसे कि अगर कोई बिजनेस मैन है और उसे ये समझ में नहीं आ रहा कि उसके बाद उसके इस बिजनेस का क्या होगा? कैसे उसका बिजनेस चलेगा ? तो ऐसे हालात में भी उसे अलग अलग तरीके से गाइड किया जाता है ताकि वो खुश रहे और अपनी बची हुई जिंदगी अच्छे से जी सके।

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