rann utsav
वाइल्ड एस थोड़े शर्मीले होते हैं अपने नज़दीक गाड़ियों को देख कर झट से झाड़ियों मे घुस जाते हैं। हमे घूमते-घूमते शाम हो गई। सामने सूरज अस्त की ओर चल पड़ा था। यहां की दलदली मिट्टी नमक की अधिकता के कारण बंजर है। लेकिन देखने मे सुंदर लगती है। दूर तक फैला मैदान और सुंदर सनसेट वहीं रुकने को मजबूर कर रहा था। यह दिसंबर का महीना है लेकिन यहां ठंड नही है। हवा अच्छी लग रही है। कुछ देर ठहर के सनसेट का मज़ा लिया और फिर चल पड़े अपने डेरे की ओर। यहीं पास ही एक रिज़ॉर्ट मे ठहरने की ववस्था की गई है। पहला दिन ख़त्म होने को आया। आज चौदहवीं की तो नही लेकिन 12ह्वीं की रात है इसलिए चाँद आसमान मे कुछ ज़्यादा ही चमक रहा है। अभी इसे और चमकना होगा। चाँदनी रात मे रंण के सफेद रेगिस्तान को देखने लोग खास तौर पर पूर्णिमा के दिन आते हैं। यही वहाँ का मुख्य आकर्षण है।
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