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Hindi News मध्य-प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक उठापटक शुरू, इस बीजेपी नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस पार्टी

विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक उठापटक शुरू, इस बीजेपी नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस पार्टी

मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इस बार चुनावों में कांग्रेस जहां सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगाकर सत्ता में आने के सपने बुन रही है। इसी अभियान के तहत उसने बीजेपी से नाराज चल रहे लोगों को साथ जोड़ना शुरू कर दिया है।

Madhya Pradesh, BJP, Congress- India TV Hindi Image Source : TWITTER MP: BJP नेता यादवेंद्र सिंह यादव कांग्रेस में शामिल

भोपाल: मध्य प्रदेश में चुनाव में भले ही अभी 8 महीने बाकी हो लेकिन जोड़-तोड़ अभी से शुरु हो गई है। 24 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस की 15 महीने की सरकार को गिरा कर शपथ ली थी। ऐसे में शिवराज के शपथ ग्रहण के जहां 3 साल होने वाले हैं, उससे पहले कांग्रेस ने ग्वालियर संभाग के अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा क्षेत्र से तीन बार भाजपा से विधायक रहे राव देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह को कांग्रेस में शामिल करा लिया। यादविंद्र सिंह यादव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव भी मौजूद रहे।

बीजेपी में हो रही निष्ठावान कार्यकर्तायों की उपेक्षा

इस मौके पर यादवेंद्र सिंह यादव ने कहा मेरे पिताजी ने जनसंघ के समय से गुना और अशोकनगर में पार्टी को बहुत संघर्ष से खड़ा किया है। वह तीन बार विधायक रहे और उनकी मां जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं, लेकिन जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में आए हैं तब से अशोकनगर जिले के भारतीय जनता पार्टी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ता उपेक्षा होने लगी उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार और भेदभाव होने लगा।

'अब बीजेपी की विचारधारा नहीं बची'

कांग्रेस में शामिल हुए यादवेंद्र सिंह यादव ने कहा वह कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित हुए। वहीं अब बीजेपी की विचारधारा नहीं बची है उसमें अवसरवादी लोग घुस गए हैं। कोई विचारधारा नहीं बची है सब लोग पेट भरने में लगे। मैं लगातार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत करता रहता था अपनी बात और परेशानियों उनके सामने रहता था। वह कहते थे देखेंगे देखेंगे लेकिन हमारी बात नहीं मानी किसी ने हमारी पीड़ा को नहीं सुना।