A
Hindi News महाराष्ट्र 'उत्पीड़न, यातना, दमन का जरिया है ईडी', संजय राउत को मिली जमानत के बाद कांग्रेस का केंद्र पर अटैक

'उत्पीड़न, यातना, दमन का जरिया है ईडी', संजय राउत को मिली जमानत के बाद कांग्रेस का केंद्र पर अटैक

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उद्धव ठाकरे के खेमे वाली शिवसेना के नेता और सांसद संजय राउत को एक स्पेशल कोर्ट ने इसी वीक गुरुवार को जमानत दे दी और और उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया था।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी(फाइल फोटो)- India TV Hindi Image Source : PTI कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी(फाइल फोटो)

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उद्धव ठाकरे के खेमे वाली शिवसेना के नेता और सांसद संजय राउत को एक स्पेशल कोर्ट ने इसी वीक गुरुवार को जमानत दे दी और और उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया था। इसी को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ‘‘उत्पीड़न, यातना, दमन’’ का जरिया बन गया है। मंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सांसद राउत को जमानत देते हुए कहा था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी। 

'ED को लेकर चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए'

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अदालत के आदेश के कुछ हिस्सों को पढ़ा, जिसमें कोर्ट ने मामले से निपटने के तरीके की आलोचना की थी। सिंघवी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशलय के आचरण को लेकर चौंकाने वाले, भयानक, निंदनीय निष्कर्ष सामने आए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह एजेंसी स्पष्ट रूप से ‘उत्पीड़न, यातना एवं दमन’ का जरिया है। 

'निशाने बनाने की कार्रवाई'

कांग्रेस नेता ने कहा "जज ने स्पष्ट निष्कर्ष दिया है, जो मैंने आपके सामने पढ़ा है। कोई दोष सिद्ध नहीं हुआ है। उनका रवैया व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल में छोड़ देना है।’’ दरअसल, मुंबई के एक स्पेशल कोर्ट ने पात्रा चॉल रीडिवेलपमेंट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में संजय राउत को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने शिवसेना सांसद को जमानत देते हुए कार्रवाई को 'अवैध' बताया। इतना ही नहीं कोर्ट ने इसे 'निशाना बनाने’ की कार्रवाई करार दिया था। 

कोर्ट ने यह सवाल भी किया

कोर्ट ने सवाल किया कि मामले के मुख्य आरोपी और रियल एस्टेट फर्म HDIL के राकेश और सारंग वधावन को ED ने कभी गिरफ्तार क्यों नहीं किया? जज ने कहा कि एजेंसी के म्हाडा और दूसरे सरकारी विभागों के संबंधित अधिकारियों को गिरफ्तार न करने का कारण कुछ नहीं, बल्कि तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री और (महाराष्ट्र के) तत्कालीन मुख्यमंत्री को एक मेसेज देना था, जिससे उनके मन में एक डर पैदा हो सके कि वे इस लाइन में अगले व्यक्ति हैं।