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Hindi News महाराष्ट्र जो कभी रहा आतंक का दूसरा नाम... अब मच्छरों से खा रहा खौफ, अदालत से लगाई गुहार

जो कभी रहा आतंक का दूसरा नाम... अब मच्छरों से खा रहा खौफ, अदालत से लगाई गुहार

गैंगस्टर एजाज लकड़ावाला को मच्छरों से डर लग रहा है। कभी डॉन दाउद का साथी रहा लकड़ावाला अब अदालत से मच्छरों से बचने के लिए गुहार लगा रहा है।

गैंगस्टर एजाज लकड़ावाला- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO गैंगस्टर एजाज लकड़ावाला

एक गैंगस्टर जो कभी खुद आतंक का पर्याय रहा है वो आज मच्छरों से डरा हुआ है। गैंगस्टर एजाज लकड़ावाला को मच्छरों से इतना डर लग रहा है कि उसने बचाव के लिए अदालत से गुहार लगाई है। जेल में बंद कुख्यात गैंगेस्टर लकड़वाला एक अदालत में पेशी के लिये लाया गया तो अपने साथ वह मरे हुए मच्छरों से भरी प्लास्टिक की एक बोतल लेकर पहुंचा और अदालत से उसे जेल में मच्छरदानी उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की। 

दाऊद इब्राहिम का रहा है पूर्व सहयोगी
अदालत ने हालांकि एजाज लकड़ावाला की याचिका खारिज कर दी। सत्र अदालत ने गुरुवार को लकड़वाला की याचिका को खारिज कर दिया। भगोड़े गैंगेस्टर दाऊद इब्राहिम के पूर्व सहयोगी लकड़वाला पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) समेत कई आपराधिक मामले हैं। उसे जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वह तबसे निकटवर्ती नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है। उसने हाल ही में अदालत में एक अर्जी दाखिल कर मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी। 

मच्छरों से भरी प्लास्टिक की बोतल लाया
लकड़वाला ने अपने आवेदन में कहा कि 2020 में जब उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया था, तो उसे इसका उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस साल मई में, जेल अधिकारियों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए मच्छरदानी को जब्त कर लिया। लकड़ावाला को गुरुवार को जब सत्र अदालत में पेश किया गया तो उसने मरे हुए मच्छरों से भरी प्लास्टिक की बोतल दिखाई और कहा कि तलोजा जेल के कैदियों को हर रोज इस समस्या का सामना करना पड़ता है। 

अदालत ने आवेदन को लेकर क्या कहा
जेल अधिकारियों ने हालांकि सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया। अदालत ने आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी आवेदक (लकड़ावाला) ‘ओडोमोस’ और मच्छर भगाने वाली अन्य दवाओं का इस्तेमाल कर सकता है। लकड़ावाला के अलावा तलोजा जेल के कई अन्य विचाराधीन कैदियों ने इसी प्रकार की याचिकाएं दाखिल की थीं। कुछ मामलों में याचिका को स्वीकार किया गया था जबकि कुछ अन्य मामलों में इसे खारिज कर दिया गया।