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महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के 8522 नए मामले दर्ज, 24 घंटे में 187 मरीजों की मौत

महाराष्ट्र में अब कोरोना वायरस के कुल मरीजों की संख्या 15,43,837 हो चुकी है। वहीं अब तक कुल मौत का आंकड़ा 40,701 तक पहुंच चुका है। राज्य में आजतक कुल 2,05,415 एक्टिव मामले है।

Maharashtra Coronavirus cases till 13 October- India TV Hindi Image Source : PTI Maharashtra Coronavirus cases till 13 October

मुंबई: महाराष्ट्र में अब कोरोना वायरस के कुल मरीजों की संख्या 15,43,837 हो चुकी है। वहीं अब तक कुल मौत का आंकड़ा 40,701 तक पहुंच चुका है। राज्य में आजतक कुल 2,05,415 एक्टिव मामले दर्ज किए जा चुके है। अगर मुंबई की बात करें तो यहां पिछले 24 घंटे में कोरोना पॉजिटिव 1325 नए केस दर्ज किए गए है। वहीं 24 घंटे में 38 कोरोना मरीजों की मौत हुई। मुंबई में अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 2,32,391 है। और मौत का कुल आंकड़ा 9,507 तक पहुंच गया है। 

महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में 8,522 पॉजिटिव केस सामने आए है। राज्य में पिछले 24 घंटे में राज्य में 187 मरीजों की मौत हुई है। आज स्वस्थ होकर घर गए मरीजों की संख्या 15,356 है। अब तक महाराष्ट्र में स्वस्थ हुए कुल मरीज 12,97,252 है। वहीं राज्य में रिकवरी रेट 84.03 फीसदी और मृत्यु की दर 2.64 है। 

शरद पवार ने पीएम मोदी से कहा, राज्यपाल के पत्र में अंसयमित भाषा का इस्तेमाल 

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में शिकायत की कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के धार्मिक स्थलों को खोलने के सिलसिले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में ‘असंयमित भाषा’ का इस्तेमाल किया। मोदी को लिखे पत्र को जारी करने के बाद पवार ने ट्वीट किया, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को ऐसा पत्र लिखा है जैसे किसी राजनीतिक पार्टी के नेता को लिखा गया हो।’’ 

उन्होंने कहा,‘‘ हमारे संविधान के प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया ताकि सभी धर्मों के प्रति समानता और संरक्षण प्रदान किया जाए और इसलिए मुख्यमंत्री की कुर्सी को संविधान के इस भाव को कायम रखना चाहिए।’’ पवार ने कहा कि उन्होंने कोश्यारी के पत्र को लेकर अपने रुख से मोदी को अवगत करा दिया है। । पवार ने कहा ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि वह उस भाषा पर ध्यान देंगे जो पत्र में इस्तेमाल की गई है। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी भाषा का उपयोग करना शोभा नहीं देता।’’