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Hindi News महाराष्ट्र दक्षिण पश्चिम मानसून 10 अगस्त से महाराष्ट्र मे फिर सक्रिय होगा: आईएमडी

दक्षिण पश्चिम मानसून 10 अगस्त से महाराष्ट्र मे फिर सक्रिय होगा: आईएमडी

दक्षिण पश्चिम मानसून 10 अगस्त को महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में सक्रिय हो जाएगा और अगले सात दिनों वह वहां बना रहेगा। आईएमडी ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुम्बई और उसके आसपास के जिलों में बुधवार को भारी वर्षा और आंधी-तूफान आया था।

South west monsoon to hit coastal Maha again from Aug 10: IMD- India TV Hindi Image Source : PTI South west monsoon to hit coastal Maha again from Aug 10: IMD

मुम्बई: दक्षिण पश्चिम मानसून 10 अगस्त को महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में सक्रिय हो जाएगा और अगले सात दिनों वह वहां बना रहेगा। आईएमडी ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुम्बई और उसके आसपास के जिलों में बुधवार को भारी वर्षा और आंधी-तूफान आया था। पिछले दो दिनों में वर्षा क्रमिक ढंग से घट गयी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुम्बई केंद्र के उपनिदेशक के एस होसालीकर ने कहा, ‘‘ आईएमडी के पर्यवेक्षण से सामने आया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के मुम्बई समेत तटीय क्षेत्रों में 10-11 अगस्त को सक्रिय होने की संभावना है। यह स्थिति एक सप्ताह तक रहने की संभावना है।’’ दक्षिण मुम्बई की कोलाबा वेधशाला ने बृहस्पतिवार सुबह साढ़े पांच बजे तक पिछले 24 घंटे में 330 मिलीमीटर वर्षा और सांताक्रूज मौसम केंद्र ने उस दौरान 146 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की थी। 

महाराष्ट्र में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है पंचगंगा नदी

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में बाढ़ग्रस्त पंचगंगा नदी में जलस्तर शनिवार को कुछ हद तक कम हुआ लेकिन यह अब भी खतरे के निशान से ऊपर है। स्थानीय आपदा प्रबंधन शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि कोल्हापुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित राजाराम बैराज में नदी का जलस्तर शुक्रवार शाम से चार इंच कम होकर 44.6 फुट दर्ज किया गया।

उन्होंने बताया कि नदी के बैराज में खतरे का स्तर 43 फुट पर है। डूब वाले इलाके में भारी बारिश के बाद जिले के राधानगरी बांध से पानी छोड़े जाने के कारण शुक्रवार को नदी का जलस्तर बढ़ गया था। अधिकारी ने बताया कि डूब वाले इलाकों में बारिश और राधानगरी बांध में जलस्तर पूरी क्षमता तक पहुंचने के बाद 7,112 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। 

जिला प्रशासन ने शुक्रवार को कहा था कि बाढ़ग्रस्त 23 गांवों के 5,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। पिछले साल अभूतपूर्व बारिश ने पश्चिमी महाराष्ट्र खासतौर से कोल्हापुर और सांगली जिलों में कहर बरपाया था जिससे 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।