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सरकार बनते ही झटका: 5 साल के निचले स्तर पर पहुंची Gdp Growth, 45 साल के उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जीडीपी और रोजगार से जुड़े तमाम आंकड़े शुक्रवार को जारी कर दिए हैं।

gdp growth rate Slows Down To 5.8 Percent and During January-March Quarter Of Fy 2019 Annual GDP fal- India TV Paisa Image Source : SOCIAL MEDIA gdp growth rate Slows Down To 5.8 Percent and During January-March Quarter Of Fy 2019 Annual GDP falls to 6.8%

नई दिल्ली। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जीडीपी और रोजगार से जुड़े तमाम आंकड़े शुक्रवार को जारी कर दिए हैं। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संवृद्धि दर पिछले पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है। दुनिया की सबसे तेज इकोनॉमी के रूप में बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था अपने पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 5.8 फीसदी पर आ गई है। सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी संवृद्धि दर 6.8 फीसदी रही।

जीडीपी से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि इस तिमाही देश की जीडीपी ग्रोथ 6 फीसदी के नीचे आ गई है। देश की आर्थिक वृद्धि दर यानी जीडीपी वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में धीमी पड़कर 5.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 8.1 प्रतिशत थी। पिछले पांच सालों में जीडीपी का ये सबसे निचला स्तर है। वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत थी। बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 3.39 प्रतिशत रहा जो बजट के संशोधित अनुमान 3.4 प्रतिशत से कम है। आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अप्रैल में कम होकर 2.6 प्रतिशत रही जो पिछले साल इसी महीने में 4.7 प्रतिशत रही थी। 

मार्च में समाप्‍त हुई तिमाही में 5.8% विकास दर रही, जो कि दो सालों में सबसे कम का आंकड़ा है। वित्त वर्ष 2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अप्रैल में कम होकर 2.6 प्रतिशत रही जो पिछले साल इसी महीने में 4.7 प्रतिशत रही थी। वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 3.39 प्रतिशत रहा जो बजट के संशोधित अनुमान 3.4 प्रतिशत से कम है।

बीते वित्त वर्ष (2018-19) की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.8% रही। अक्टूबर-दिसंबर में यह दर 6.6% थी। तिमाही विकास दर घटने से पूरे वित्त वर्ष की विकास दर पर भी असर पड़ा है। यह 6.8% रही है। 2017-18 में 7.2% थी। सांख्यिकी विभाग ने शुक्रवार को विकास दर के आंकड़े जारी किए हैं। भारत की तिमाही जीडीपी ग्रोथ अब दुनिया में सबसे तेज नहीं रही क्योंकि जनवरी-मार्च तिमाही में चीन की ग्रोथ 6.4% रही थी।

इन वजहों से गिरी ग्रोथ

आंकड़ों के अनुसार जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट की अहम वजह प्रमुख क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन करना रहा है। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र में ग्रोथ रेट 5.0 फीसदी से गिरकर 2.9 फीसदी, खनन उद्योग 5.1 फीसदी से गिरकर 1.3 फीसदी, बिजली , गैस , पान सहित क्षेत्र 8.6 फीसदी से गिरकर 7.0 फीसदी, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि क्षेत्र 7.8 फीसदी से गिरकर 6.5 फीसदी पर आ गया है। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 5.9 फीसदी से बढ़कर 6.9 फीसदी हो गया है, जो थोड़ी राहत की खबर है।

चीन से भी पिछड़े

चौथी तिमाही के आंकड़े आने के बाद अब भारतीय अर्थव्यवस्था चीन से पिछड़ गई है। चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 फीसदी थी। जबकि भारत की ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी पर आ गई है। सीधा मतलब है कि फिलहाल दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा भी हट गया है।

आशंका से भी बड़ी गिरावट 

दरअसल, चौथी तिमाही में विभिन्न क्षेत्र के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और सरकारी खर्च में कटौती के कारण ग्रोथ को झटका लगने की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी, लेकिन ग्रोथ रेट के 6 प्रतिशत से भी नीचे गिरने की उम्मीद किसी को नहीं थी। देश के विभिन्न बैंकों ने ग्रोथ रेट 6 से 6.3 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जताई थी। कोटक महिंद्रा बैंक ने सबसे कम 6 प्रतिशत रहने की आशंका व्यक्त की थी। 

45 साल के उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी

केंद्र सरकार ने पहली बार बेरोजगारी का आंकड़ा जारी कर दिया है। भारत में बेरोजगारी की दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी है, जो कि पिछले 45 सालों (1972-73 के बाद) में सबसे ज्यादा है। इससे पहले एक अखबार ने भी इसी डाटा को लीक किया था। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 5.3 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 7.8 फीसदी रही थी। 

वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.39 प्रतिशत रहा 

वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39 प्रतिशत रहा है। यह बजट के 3.40 प्रतिशत के संशोधित अनुमान की तुलना में कम है। राजकोषीय घाटे के बजट के संशोधित अनुमान से कम रहने का मुख्य कारण कर से अन्यत्र अन्य मदों में प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि तथा खर्च का कम रहना है। आंकड़ों के संदर्भ में कहा जाए तो 31 मार्च 2019 के अंत में राजकोषीय घाटा 6.45 लाख करोड़ रुपए रहा है, जबकि बजट में राजकोषीय घाटे के 6.34 लाख करोड़ रुपए रहने का संशोधित पूर्वानुमान व्यक्त किया गया था। राजकोषीय घाटे के आंकड़े हालांकि बढ़े हैं लेकिन जीडीपी के बढ़े आंकड़े से इसकी तुलना करने पर यह 3.39 प्रतिशत रहा है। महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39% रहा। हालांकि, वास्तविक आंकड़ों में राजकोषीय घाटा बढ़ा है, लेकिन जीडीपी बढ़ने के कारण इसकी तुलना में राजकोषीय घाटा का अनुपात कम हुआ है। 

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