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Hindi News राजस्थान कांग्रेसियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कहा गद्दार, सचिन पायलट बोले सही या गलत का फैसला करती है पब्लिक

कांग्रेसियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कहा गद्दार, सचिन पायलट बोले सही या गलत का फैसला करती है पब्लिक

सचिन पायलट ने कहा कि हर व्यक्ति यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि उसे किस दल या पार्टी में रहना है, सचिन पायलट ने कहा कि यह जनता तय करेगी कि किसका निर्णय सही है और किसका निर्णय गलत

<p>Jyotiraditya Scindia</p>- India TV Hindi Image Source : PTI Jyotiraditya Scindia

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी के उन नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया दी है जिसमें पार्टी नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार कहा था। पार्टी नेताओं के इस बयान पर सचिन पायलट ने कहा कि हर व्यक्ति यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि उसे किस दल या पार्टी में रहना है, सचिन पायलट ने कहा कि यह जनता तय करेगी कि किसका निर्णय सही है और किसका निर्णय गलत।

सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक दूसरे का करीबी समझा जाता है, ज्योतिरादित्य सिंधिया इस साल मार्च में कांग्रेस पार्टी को छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे वहीं सचिन पायलट भी इसी साल राजस्थान में बगावत कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी थी और बाद में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत के बाद मान गए थे। लेकिन सचिन बगावत से पहले राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष होते थे।

सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही आज अलग-अलग पार्टी में हों लेकिन वे एक दूसरे के खिलाफ सीधी टिप्पणी करने से हमेशा बचते आए हैं। 2018 में जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस पार्टी को बढ़त मिली थी तो दोनो उस समय कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार समझे जाते थे लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया।

मार्च में ज्यतिरादित्य सिंधिया जब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए तो उसी समय उनके समर्थक विधायकों ने कमलनाथ सरकार से त्यागपत्र दे दिया और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई, कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद मध्य प्रदेश में शिवराज चौहान के नेतृत्व में फिर से भाजपा सरकार बनी। राजस्थान में भी जब सचिन पायलट ने बगावत कर दी थी ओर उस समय भी अशोक गहलोत सरकार के सामने संकट घिर गया था लेकिन समय रहते पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दखल की और गहलोत सरकार टिकी रही।